अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है। शाम को किसी शादी की पार्टी में जाना था। सब लोग अपनी अपनी तैयारी में लगे हुए थे। राजन भी तैयार था जाने के लिए। शादी के लिए निकलने से पहले किसी के बारे में बातचीत हुई। इसी बातचीत के दौरान राजन को किसी ने बहुत ही गलत लहजे में कड़वी बात बोल दिया अपशब्द के साथ।
ऐसा नहीं है की राजन सही ही था उसने किसी के मुंह से कुछ बात सुनी थी और वो समझ नहीं पा रहा था उस बात को और ये भी कह सकते हैं की उसको गलतफहमी हो गयी थी। इसलिए वो ये बात सामने रख रहा था। लेकिन किसी ने उसे बहुत गलत लहजे में और कड़वे शब्दों में जवाब दिया। वो कड़वे शब्द उसके दिल में चुभ गए। शादी में जाने की जो उत्सुकता थी और थोड़ी खुशी थी वो तकलीफ में बदल गयी।
लेकिन शादी में तो जाना ही था। तो राजन भी सबके साथ लेकिन भारी मन से शादी में गया लेकिन रास्ते में भी उसे रह रह कर वो शब्द उसके मन में चुभते रहे। हालाँकि रास्ते में उसका मन बहला अलग अलग नज़ारे देखकर और अलग अलग बातें सुनकर और बोलकर। लेकिन वो कड़वे शब्द बार बार उसको याद आ रहे थे और उसके दिल में चुभ भी रहे थे।
हालाँकि शादी के दौरान जब वो अलग अलग लोगों से मिला। शादी की सजावट देखा। कुछ नयी पुरानी बातें सोचने लगा तो कुछ समय के लिए वो उस कड़वी बात को भूल जाता। लेकिन कड़वी बात तो कड़वी बात होती है इतनी आसानी से कोई नहीं भूल पाता है खासकर तब जब वो किसी खास मौके पर बोली जाये और दिल पर लग जाये। जब तक शादी की पार्टी चल रही थी तब तक तो ठीक था। राजन उस बात को भुलाने में लगभग कामयाब हो गया था।
लेकिन जब वो गाड़ी में बैठकर सबको लेकर वापस घर की तरफ जाने लगा तब वो बात उसके दिमाग में फिर से घूमने लगी और जैसे जैसे वो घर आया बात उसके दिलो दिमाग में छाने लगी। वो उस बात के बारे में कई तरह से सोचने लगा जैसे की वो उस बात का जवाब भी उसी कड़वाहट भरे शब्दों से दे दे और वो ये भी सोच रहा था की जवाब में क्या क्या बोला जा सकता है। कभी वो सोचता की इससे क्या अच्छा होने वाला है और बात बिगड़ेगी ही। गलत को देखकर गलत करना क्या सही होगा। वैसे भी उसे सबको एक साथ लेकर जीवन में आगे चलना है। इसलिए झगड़ा कोई उपाय नहीं है। कौन सा ये उसके साथ पहली बार हुआ है। पहले भी ऐसा हो चूका है और क्या पता आगे भी होगा।
लेकिन ऐसी कड़वी बातें या बुरी लगने वाली लगने वाली बातें नहीं बोलनी चाहिए। और नहीं बोलनी चाहिए थी। हालाँकि गलत झेलना भी गलत होता है। लेकिन यह कड़वाहट जो उसे अंदर ही अंदर चुभ रही थी का जवाब कड़वाहट से देना सही नहीं था। लेकिन इस बात के बारे में बार बार सोचने पर वो यह समझ पा रहा था की उस समय दुर्योधन को कैसा लगा होगा जब एक गलती होने पर द्रौपदी ने हँसते हुए और जोर से ये कहा होगा की अंधे का पुत्र अंधा।
कहने वाले तो ये भी कहते हैं की महाभारत का जो युद्ध हुआ उसका मूल कारण यही शब्द थे। और ये भी सही है की जो युद्ध हुआ उससे किसी का भला नहीं हुआ ना ही कोई बुराई मिटी सिवाय बरबादी के। इसलिये झगड़ा या वैसा ही जवाब देना तो कोई हल नहीं है। उस दुखते हालत में राजन ने अपनी भावनाओं पर काबू रखने की कोशिश करते हुए ये भी तय किया की वो कभी भी किसी के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेगा जिससे की किसी का दिल दुखे भले ही सामने वाला गलत ही क्यों ना हो। जब तक इस समस्या का सही उपाय ना सूझे या मिले तब तक आवेश में आकर वह कोई गलत कदम नहीं उठाएगा। आगे से वो ऐसी चीज़ों के लिए सतर्क रहेगा की ऐसी नौबत ही ना आये।
और आगे हुआ ये की धीरे धीरे समय गुजरने के बाद वो बात राजन भूलता गया और अपने आप को काबू में रखने के कारण कोई भी ऐसा कदम उठाने से बच गया जिससे की बात और बिगड़ सकती थी और हो सकता था की राजन को बाद में पछतावा होता की उसने ऐसा क्यों किया उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
वैसे ये कहानी सिर्फ एक राजन की नहीं है ये अकसर होता रहता है हम सभी के जीवन में कभी घर में ,कभी कार्यालयों में ,कभी कहीं आते जाते। लेकिन हर कोई राजन की तरह अपने आप को काबू में नहीं रख पाता और बात बहुत बिगड़ जाती है। ज्यादातर हमारे समाज में जो बिगड़ने वाले काम होते हैं चाहे वो परिवार में झगड़ा ,बंटवारा हो ,दो दोस्तों के बीच झगड़ा हो ,कार्यालयों में बहस या मनमुटाव हो ,या कहीं भी हो ऐसी चीजें ज्यादातर कड़वी बातों की वजह से होती हैं या फिर गलत व्यवहार से होती हैं।
जहाँ तक हो सके सबको पूरा कोशिश करना चाहिए की कोई किसी से ऐसी बात ना बोले जो कड़वी हो और दिल दुखाने वाली हो और व्यवहार सबके साथ अच्छा करना चाहिए।
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