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सॉफ्ट स्किल्स क्या हैं और हमारे जीवन में उनका होना क्यों जरुरी है -
सबसे पहले यह समझना जरुरी है की स्किल क्या होता है ? स्किल यानि की हुनर। दोस्तों इसका मतलब ये होता है की काम कैसा भी हो,कितना भी कठिन क्यों न हो उस काम को करना या उस पर नियंत्रण करने में महारत हासिल करने को ही स्किल कहते हैं।
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दोस्तों स्किल सिखने की प्रक्रिया हमारे जीवन के शुरुवात से ही जुडी रहती है और जीवन के साथ चलती रहती है। इसको समझने के लिए हम अपने व्यक्तिगत जीवन से ही उदाहरण ले सकते हैं जैसे जब हम बच्चे होते हैं। तब हम अपने हाथ पाँव पर काबू रखना सीखते हैं,उसके बाद धीरे धीरे चलना सीखते हैं। जब हम और बड़े होते हैं तो पेंसिल पकड़ने से लेकर उससे लिखने तक का हुनर सीखते हैं। साइकिल को सँभालने से लेकर चलाने तक का हुनर सीखते हैं। और सिखने की ये प्रक्रिया जिंदगी भर चलती रहती है। हम जैसे जैसे स्किल सीखते रहते हैं वैसे वैसे हम जीवन में नयापन महसूस करते रहते हैं और जीवन में विकास भी करते रहते हैं।
वैसे तो स्किल दो तरह की होती हैं हार्ड स्किल और सॉफ्ट स्किल। आज मैं आपको बताने वाला हूँ सॉफ्ट स्किल के बारे में और इसका हमारे जीवन में और carrier क्या महत्व है। यह कैसे हमारे carrier को आगे बढ़ा सकते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव भी ला सकते हैं।
दोस्तों सॉफ्ट स्किल यानि की व्यवहारिक कौशल।इस नाम से ही समझ में आता है की हममें व्यवहार करने कितनी कुशलता है। यानि की सॉफ्ट स्किल्स का मतलब हुआ की हम कोई भी काम कर रहे हों और कहीं भी काम कर रहे हों ,और किसी के साथ भी काम कर रहे हों तो इन सबके लिए हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए।
चलिए ये तो हमने समझ लिया की सॉफ्ट स्किल क्या है ?अब हम ये समझते हैं की ये क्यों जरुरी है। इसको एक उदाहरण से समझते हैं मान लीजिये आप किसी विषय में बहुत माहिर हैं. ये हो गयी आपकी हार्ड स्किल और आप इसी विषय से सम्बंधित किसी जॉब के लिए इंटरव्यू देने जाते हैं। लेकिन आपका व्यवहार अच्छा नहीं है जैसे की आपमें टीम में काम करने की क्षमता नहीं है। आप बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते हो। आप में आत्मविश्वास की कमी है इत्यादि। तो सोचिये क्या आप उस इंटरव्यू में सेलेक्ट हो पाएंगे। मान लीजिये अगर आप सेलेक्ट हो भी गए तो क्या आप उस जॉब में एक अच्छा और लम्बा carrier बना पाएंगे। जवाब है नहीं ,क्योंकि आपके अंदर सॉफ्ट स्किल्स की कमी है।
दोस्तों सॉफ्ट स्किल्स की एक खासियत ये भी है की इन्हे किताबों से नहीं सीखा जा सकता है। इन्हे ज्यादातर अपने जीवन में आने वाले अलग अलग अनुभओं से सीखना पड़ता है। दोस्तों होता ये है की हममें से ज्यादातर लोग अपने जीवन के अनुभवों के साथ आगे बढ़ते रहते हैं। बस हमें पता नहीं होता की हम अपने अनुभवों से सॉफ्ट स्किल्स भी सिख रहे होते हैं जरुरत होती है उन स्किल्स को डेवेलोप करने की क्योंकि ये हमारे जीवन के हर क्षेत्र में काम आती हैं चाहे वो हमारे carrier से सम्बंधित हों या पारिवारिक जीवन से। हमे ये भी समझना होता है की इन स्किल्स को डेवेलोप कैसे करना है और जो स्किल्स हमारे अंदर नहीं हैं उन्हें अपनाना है। ये स्किल्स सिर्फ अर्जित ज्ञान तक सिमित नहीं होते ये हमारे परिस्तिथियों और अनुभवों के आधार पर बढ़ती जाती हैं।
चलिए अब समझते हैं की सॉफ्ट स्किल्स में क्या क्या आता है - वैसे तो सॉफ्ट स्किल्स का क्षेत्र किसी विशाल समंदर की तरह बहुत बड़ा है। लेकिन कुछ स्किल्स के बारे में यहाँ बताना चाहूंगा -
कम्युनिकेशन स्किल - यानि की एक दूसरे से हम कैसे बातचीत करते हैं। हमारे बातचीत करने का तरीका ऐसा होना चाहिए की सामने वाले को हमारी बात समझ में आये और अच्छी भी लगे। ऐसा ना हो की हम बोलते भी जाएँ और उसे हमारी बात समझ भी नहीं आ रही हो और बुरा भी लग रहा हो। हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिनके बातचीत करने का तरीका अलग होता है या गलत होता है। वो कोई भी हो सकता है आपके परिवार का कोई सदस्य ,आपका दोस्त ,आपका बॉस ,आपके लिए काम करने वाला कोई कर्मचारी। इनमें बातचीत को लेकर बहुत सारी कमियाँ हो सकती है जैसे की गलत शब्दों का प्रयोग करना , ऊँची आवाज में बात करना ,केवल अपनी बात बोलना सामने वाले को बोलने का मौका ही नहीं देना और उसकी परिशानी को ना समझना इत्यादि।
बातचीत का तरीका ऐसा होना चाहिए की जिन लोगों के बीच किसी मुद्दे को लेकर बात हो रही हो उस मुद्दे के बारे में सही से कहा जा सके और सबको एक दूसरे की बात सुनने और समझने का मौका मिले और कुछ हल निकाला जा सके। ऐसा नहीं होना चाहिए की हम अपनी ही बात पर अड़े हुए है और सामने वाले को अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं मिल रहा है या फिर सामने वाले की बात को समझने के बजाय सामने वाले पर ये दबाव बनाने की कोशिश की जा रही हो की हम जो कह रहे हैं वही सही है तुम अपनी बात रहने दो।
क्रिटिकल थिंकिंग - यानि की किसी भी समस्या का समाधान निकालने के लिए गहराई में और लॉजिकल तरीके से सोचने की क्षमता। ऐसे न हो की आँख बंद कर के किसी भी बात को मान लेना। उदाहरण के लिए मान लीजिये आपको किसी मुद्दे पर कोई बात पता चलती है और वो बात किसी भी विषय से सम्बंधित हो सकती है चाहे वो इतिहास से सम्बंधित हो ,राजनीती से सम्बंधित हो ,किसी व्यक्ति विशेष से सम्बंधित हो। यदि आप उस बात को आँख बंद कर के विश्वास करने के बजाय तर्कसंगत रूप से सोचते है और विचारों के बीच तार्किक संबंध को समझते हैं तो ये आपका एक सॉफ्ट स्किल है क्रिटिकल थिंकिंग कहते हैं। जाहिर सी बात है अगर हम सही से सोच पाएंगे तो हम निर्णय भी सही ले पाएंगे और किसी भी समस्या के सही समाधान भी निकाल सकते हैं।
टाइम मैनेजमेंट - टाइम मैनेजमेंट का मतलब है की अपने टाइम को मैनेज करना। आम तौर पर कौन से काम को कितना समय लगना चाहिए और उसके आधार पर हमे कैसे और कितना काम करना है हमे कौन से काम को कितना समय देना है। कितना ब्रेक लेना है। कितने समय में उस काम को निपटाना है। अगर कोई ऐसी परिस्तिथि आ जाये जो हमारे प्लान टाईमटेबल को प्रभावित करे तो आगे उस को करने के लिए कैसे टाइम टेबल arrange करें।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिये आपको किसी परीक्षा की तैयारी करनी है और आपके पास उस परीक्षा से सम्बंधित पूरा सिलेबस मौजूद है। अब इसके आगे आपको उस सिलेबस के अनुसार अपना टाइम मैनेज करना है की रोज कितना समय उस पाठयक्रम को दें की तैयारी अच्छी भी हो और निर्धारित समय पर हो यानि की परीक्षा से पहले हो और इसके साथ आपके दिनचर्या के बाकि काम भी होते रहें।
ज़रूरी नहीं हैं की मैंने जितने स्किल्स यहां बताएं हैं सिर्फ उतने ही स्किल्स आप डेवेलोप करिये। जरुरी ये है की आप आपने अनुभव के आधार पर ऐसी ढेर सारी स्किल्स सीखते रहिये और जीवन में आगे बढ़ते रहिये।
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