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पुराने दिनों को याद करते करते
जो बिछड़ गए हैं साथ चलते चलते
उनसे दुबारा उसी तरह मिलने की फरियाद करते करते
मुझे ये भी एहसास हुआ की
मैं भी किसी के लिए गुजरा हुआ कल हूँ, आज नहीं बन सकता
यादों में आकर अपने होने का एहसास दिला सकता हूँ
लेकिन वर्तमान में साथ नहीं चल सकता
मिल सकता हूँ अपने हालात से लड़ते हुए दुबारा
रुक सकता हूँ पल दो पल और दे सकता हूँ जरुरत पड़ने पर साथ तुम्हारा
लेकिन ये भी सही है की मैं गुजरा हुआ कल हूँ ,आज नहीं बन सकता
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तुम मुझे कितना भी यादों में बसालो ,दिल से अपनालो या फिर भुला दो
कभी ना कभी याद आता रहूँगा लेकिन यही कहूँगा मैं कितना भी याद आऊँ
यादों में मुझे रखते हुए कदम आगे बढ़ा दो
क्योकि ये मज़बूरी ही सही, बिना कदम आगे बढ़ाये जीवन नहीं चल सकता
मैं गुजरा हुआ कल हूँ ,आज नहीं बन सकता
पुराने दिनों की यादें आती रही दिलों पर छाती रही
आज की दुनियां से हमें अलग हटाती रही
उन यादों को याद करते करते न जाने कितने आज गुजर गए
उन यादों को महसूस किया जा सकता है ,कुछ सीखा जा सकता है ,कुछ समझा जा सकता है
लेकिन बिता हुआ कल कभी आज नहीं बन सकता
मैं भी किसी के लिए गुजरा हुआ कल हूँ
आज नहीं बन सकता
गुजरे हुए कल से सबक लेकर अपना आज बना सकता हूँ
अपने आज के दम पर भविष्य अच्छा बना सकता हूँ
जी सकता हूँ पहले से बेहतर
लेकिन ये भी सच है की
मैं भी किसी के लिए गुजरा हुआ कल हूँ
आज नहीं बन सकता
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