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जो जिंदगी है वो आज है। हम अकसर भविष्य के इंतज़ार में अपना आज भूल जाते हैं। हम सोचते हैं की आज रहने देते हैं। एक दिन आएगा जब हम मौज मस्ती से रहेंगे। गलत कहते थे वो लोग की आज तकलीफ झेलो कल मौज करना। सही तो ये है की मुसीबत भी आज है ,हल भी आज है ,मेहनत भी आज है और उसका फल भी आज है , लगता है जीवन को सही से जीने का यही राज है। फल से मेरा मतलब है की हम उस काम में कितना कामयाब होंगे ये तो भविष्य पर निर्भर है लेकिन अगर हम उस काम को आज कर रहे है तो हमारे मन में ये तसल्ली जरुर होगी की हाँ हम काम कर रहे है आगे जरुर अच्छा होगा।
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अपने इस मुद्दे को मैं अपने अनुभव के आधार पर बताना चाहूंगा जिससे की आप इसे अच्छे से समझ सकें
वैसे तो मैं हमेसा अपने घर के पास वाले बाजार में जाता रहता हूँ सामान खरीदने के लिए लेकिन आज शाम जब बाजार गया और एक दुकान से सामान लेकर निकला तो सोचा की चलो आज जरा बाजार की चहल पहल देख लेता हूँ। स्कूल के दिनों में इस समय बाहर निकलने और चहल पहल देखने के लिए मन तरसता था।
एक समय था जब कभी कभी छुट्टियों में या फिर कभी कभी शाम को यहाँ दोस्तों का एक झुंड तो जरूर दिख जाता था। और सिर्फ मेरे ही दोस्तों का नहीं बल्कि दूसरों के दोस्तों का भी। तब ये बाजार इतना फैला नहीं था लेकिन चहल पहल काफी रहती थी। चहल पहल आज भी है। बढ़ता अँधेरा ,स्ट्रीट लाइटों का उजाला , दुकान की चालू लाइटें,आते जाते लोग इन सब को देखकर उन दिनों जैसा ही महसूस हो रहा है बस अब वो दोस्तों का झुंड नहीं दिख रहा है। और सिर्फ मेरे ही दोस्तों का ही क्यों किसी के भी दोस्तों का झुंड नहीं दिख रहा है। सिर्फ लेनदार और देनदार ही दिख रहे हैं। और ये जो लोग दिख रहे हैं वो आपस में दोस्त तो नहीं हैं। वैसे भी आजकल के स्मार्टफोन और स्पोर्ट्स बाइक के फैशन में अब लगता है वो इकट्ठे होकर खड़े रहने वाली प्रथा ख़त्म हो गयी है। वो प्रथा अच्छी थी या बुरी थी पता नहीं।
यहीं सब सोचते हुए और बाजार को निहारते हुए मेरी नज़र बाजार के पास के स्कूल पर गयी जहाँ का मैं कभी विधार्थी हुआ करता था। बहुत ज्यादा तो नहीं लेकिन इस स्कूल में मैंने तीन साल पढ़ाई किया था १०वीं ,११वीं और १२वीं। मेरी नज़र स्कूल के उस कोने पर गयी जहाँ हमारे सबसे ज्यादा पंगे होते थे और वहां हमारी क्लास का जाना बैन कर दिया गया था। मेरी क्लास बदनाम थी लड़ाई झगड़े करने के लिए लेकिन मैं उस क्लास का सबसे शरीफ विद्यार्थी माना जाता था क्योंकि मैं ज्यादातर चुप ही बैठता था और काफी उदास और गंभीर भी रहता था। रहता भी क्यों नहीं उन दिनों मेरे जीवन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था। मेरे घर में हमेसा झगड़े ही होते रहते थे और हमेसा तनाव का माहौल रहता था। मैं दसवीं क्लास में असफलता का स्वाद भी चख चूका था। उन दिनों स्कूल और घर के माहौल की वजह से इतना डिस्टरबेंस था की पढ़ाई मुझसे इतने सही से नहीं हो पाती थी। मैं कोशिश तो बहुत करता था। तनाव की वजह से मेरी सेहत भी अच्छी नहीं रहती थी।
हालाँकि उन दिनों भी मैं नियमित रूप से कसरत करने के कारण अच्छा दिखता था लेकिन तनाव की वजह से कभी मैं बहुत सेहतमंद दिखता तो कभी बहुत कमजोर। कभी चेहरे पर चमक दिखती थी तो कभी मेरा चेहरा निस्तेज दिखता था। मेरा आत्मविश्वास काफी डगमगाया हुआ रहता था। भविष्य की चिंता सताती थी और कुछ समझ में भी नहीं आता था की आगे क्या करना है।
लड़कियां तो दूर की बात है बहुत समय तक किसी लड़के से भी मेरी दोस्ती नहीं हुई थी। स्कूल की छुट्टी होने के बाद मैं किसी से भी मिलता नहीं था। मैं अपनी अलग ही दुनियाँ में रहता था। अक्सर पुराने दिनों को याद करता था जैसे की पुरानी स्कूल ,पुराने दोस्त और उन अच्छे दिनों को जब मेरे जीवन में तनाव नहीं था।
शाम को ज्यादातर इसी सड़क से टहलते हुए मैं अपने आप में खोया हुआ काफी दूर निकल जाता था और फिर दौड़ने और कसरत करने के बाद अपने में ही खोये हुए वापस घर लौट आता था।
लेकिन कहते हैं न की इंसान सामाजिक प्राणी होता है और बहुत ज्यादा समय तक अकेले नहीं रह सकता है। समय गुजरने के साथ साथ मेरी दोस्ती मेरे क्लास के दो लड़कों से हो गयी और इतनी पक्की दोस्ती हो गयी की हम तीनों का ज्यादातर समय एक साथ गुजरने लगा। हम क्लास में भी एक साथ रहते और स्कूल की छुट्टी होने के बाद और खाना खाने के बाद वो दोनों मेरे घर आ जाते और हम साथ में मिलकर पढ़ाई करते और एग्जाम होने पर एग्जाम की तैयारी भी करते थे। जिस दिन पढ़ाई करने का मन नहीं होता था तो भी स्कूल का दिया हुआ काम हम साथ मिलकर कर निपटा ही लेते थे और फिर इधर उधर की बातों से मन भी बहला लिया करते थे।
उन दोनों की वजह से मुझे बहुत फायदा हुआ। उन दोनों के आने से घर में शांति रहती थी। घर में कोई ऊँची आवाज में बात नहीं करता था। साथ में पढ़ाई करने के कारण पढ़ाई रोचक तरीके से और काफी अच्छे से होने लगी। मेरे जीवन में जो अकेलापन महसूस हो रहा था वो भी दूर हो गया पूरी तरह से तो नहीं लेकिन काफी हद तक दूर हो गया था। ऐसा लग रहा था जिंदगी फिर से चल पड़ी है सही दिशा में। अब भविष्य की चिंता नहीं सता रही थी। हम भविष्य को लेकर सुनहरे सपने बुनने लगे थे। जो भी हो कम से कम भविष्य को लेकर डर नहीं लग रहा था वो अलग बात है की भविष्य को लेकर कन्फ्यूजन जरूर था।
वैसे तो क्लास में और भी विद्यार्थियों से मेरी थोड़ी बहुत बात होती रहती थी लेकिन उन दोनों से मैं ज्यादा घुलमिल गया था और इन दोनों के कारण ही धीरे धीरे मैं क्लास में औरों से भी घुल मिल गया था। अब लगता है की इंसान के जीवन में कितना भी बुरा वक़्त चल रहा हो उस बुरे वक़्त में भी उसके जीवन में कुछ न कुछ तो अच्छा हो ही रहा होता है बस उस समय ये महसूस नहीं होता है। ऐसा लगता है मेरी वो बुरी हालत देखकर ऊपरवाला कह लीजिये या प्रकृति कह लीजिये को मुझपर दया आयी होगी और उन दोनों को उस बुरे वक़्त से निपटने के लिए मेरे पास भेज दिया था। उसके बाद कुछ समय बीतते बीतते मेरी लगभग क्लास के सभी लोगों से दोस्ती हो गयी थी लेकिन लड़कियों से दूर ही रहता था। मेरी क्लास में लड़के लड़कियां काफी घुलमिल कर रहते थे। लेकिन मुझे लड़कियों से दोस्ती करने में कोई रूचि नहीं थी। अपने जीवन में आये तनाव की वजह से और पुराने दोस्तों की संगत की वजह से मैं ये मानकर चलता था की लड़के और लड़कियों में दोस्ती अच्छा नहीं है।
हालाँकि ये सिर्फ एक ग़लतफ़हमी थी और अपने आसपास के समाज से मिली हुए एक गलत विचारधारा थी और मेरा पूर्वाग्रह भी।लेकिन अब मैं समझ सकता हूँ की मैं कितना गलत था। हमारा समाज महिला और पुरुष दोनों से बना हुआ है। एक दूसरे से दोस्ती होना और सबको समझना हमारे समाज की बेहतरी के लिए जरुरी है। वो अलग बात है की किसी भी चीज़ में कुछ अच्छाई और कुछ बुराई तो होती ही है।
एक बार ऐसे ही बातों बातों में मजाक में मुझसे पूछा गया तुझे कौन अच्छी लगती है और किस तरह की लड़की पसंद है। मैंने जवाब दिया था की मुझे कोई पसंद नहीं है और मुझे इन सब में नहीं पड़ना है ,वैसे भी जीवन में बहुत समस्याएँ हैं। तब उन दोनों में से एक ने कहा था की तुझे क्या लगता है की स्कूल ख़त्म होने के बाद समस्याएं ख़त्म हो जाएँगी। जीवन में समस्याएँ और भी आएँगी यही वक़्त है थोड़ा एन्जॉय कर ले। बाद में जिंदगी में ऐसी हालत भी हो सकती है की तुझे तेरे बाल नोचने का मन करे। आज जी ले एन्जॉय कर ले ,बाद में ये दिन नहीं मिलेंगे हमेशा ऐसे उदास और गंभीर मत रहा कर। मैंने कहा कुछ भी बोलता है यार आज मेहनत कर लेते हैं एन्जॉय का समय भी आएगा एक दिन।
आज इस बाजार में खड़े होकर उस स्कूल की तरफ देखते हुए मुझे उस दोस्त की ये बात याद आ रही है की आज जी ले ,एन्जॉय कर ले बाद में ये दिन नहीं मिलेंगे हमेशा ऐसे उदास और गंभीर मत रहा कर। उसकी बातों में जीवन जीने के लिए कितना अच्छा संदेश था ये मुझे अब महसूस होता है।
उसके बाद मैं बाजार को निहारते हुए और स्कूल से नज़रें हटाते हुए घर की तरफ लौटने लगा क्योंकि बाजार की हलकी रोशनी और आती जाती गाड़ियों की रोशनी सिर्फ उस स्कूल के कोने पर ही नहीं पड़ रही थी बल्कि उस स्कूल से जुड़ी मेरी यादों पर भी पड़ रही थी।
घर की तरफ कदम बढ़ाते हुए मैं ये महसूस कर रहा था की फिर से पीछे जाऊँ और बाजार को और स्कूल को निहारते हुए उन पलों को और महसूस कर लूँ। लेकिन नहीं अब वो दिन फिर से लौट के नहीं आने वाले आगे बढ़ना ही ठीक है।
स्कूल के दिन बीते ,कॉलेज के दिन बीते ,नौकरी के लिए संघर्ष वाले दिन आये लेकिन समस्याएँ कभी ख़त्म नहीं हुई और वो दिन तो आये ही नहीं जो लगता था की आज मेहनत कर लो फिर जिंदगी को एन्जॉय करना।
जिंदगी के इस मोड़ पर मुझे ये एहसास हो रहा है की जो है आज है। कल मजे कर लेना अभी भविष्य के बारे में सोचो ये सिर्फ एक भ्रम है और कुछ नहीं। हमें मेहनत भी आज करना है और जिंदगी को मजे लेते हुए भी आज ही जीना है। बस सही और गलत का ध्यान रखना है। अक्सर ये होता है की हम काम इतना सीरियस करते हैं की जिंदगी को एन्जॉय करना भूल जाते हैं और कुछ समय बाद उस काम में भी हमारा मन नहीं लगता है और हम काफी निराश महसूस करने लगते हैं। और हमारी ये सोच बन जाती है की काम नहीं हो रहा है तो हमें एन्जॉय भी नहीं करना चाहिए और हम एन्जॉय करना बंद कर देते हैं। और उसके बाद न काम हो रहा होता है और न एन्जॉय हो रहा होता है। इसलिए जब भी आप अपनी दिनचर्या की शुरुवात करें तो आप ये मानकर अपनी दिनचर्या की शुरुवात करें की आपको आज ही सबकुछ करना है और जीवन को सही से जीना है।
आज ही अपना जरुरी काम करना है ,आज ही बाकि काम निपटाना है और जीवन का आनंद भी लेना है। अगर हम वर्तमान में अच्छा कर रहे हैं तभी भविष्य में भी अच्छा होने की सम्भावना ज्यादा होगी। माना की सबकुछ हमारे बस में नहीं होता है लेकिन टाइम मैनेजमेंट भी कोई चीज़ होती है। टाइम मैनेजमेंट को ध्यान में रखते हुए हमसे जितना काम हो सकता है हम उतना काम करने की कोशिश तो कर ही सकते हैं।
बहुत ज्यादा सोच कर कुछ फायदा नहीं। अगर हम किसी कारण से काम नहीं कर पा रहे हों या जैसा फल की उम्मीद थी वैसा नहीं हो पाया हो तो हमें अफ़सोस और निराशा से जितना हो सके बचना है चाहे अब वो हमारी अपनी विचारधारा से हो रहा हो या किसी और के शब्दों से। हमें उन पलों में भी जीवन का आनंद लेने की कोशिश करना चाहिए।
जब से मैंने ये एहसास किया है की मुझे काम भी आज ही करना है और जीवन का आनंद भी आज ही लेना है। तब से अपने अंदर अच्छे से जीने का और हमेशा कुछ अच्छा करने का और ज्यादा जज्बा महसूस कर रहा हूँ। पुराने दिनों की कमी तो खलती है लेकिन अब ये भी समझ में आ रहा है की जितना हो सके जिंदगी के हर पल को ख़ुशी से जीना है बिना कुछ ज्यादा सोचे हुए और चिंता करते हुए ,बिना किसी से कुछ पाने की उम्मीद किये हुए ये मानकर चलना है की अपनी ख़ुशी अपने ही हाथ में है।
हालात हमेसा हमारे बस में नहीं होते लेकिन उस हालात में भी हम क्या करें और कैसे खुश रहें ये कोशिश करना हमारे बस में होता है। अब अपने हर सुबह की शुरुवात यही सोचकर करता हूँ आज ही काम भी करूँगा और एन्जॉय भी। कोई काम नहीं समझ में आये तो फिर से कोशिश करूँगा भले ही थोड़ा ब्रेक लेना पड़े या तरीका बदलकर समझूँगा और रोचक तरीके से। अगर काम अच्छा होगा तो भी और नहीं अच्छा होगा तो भी एन्जॉय जरूर करूँगा।
जो बीतना था वो बीत चूका है। जो होने वाला है उसके बारे में ना तो मुझे पता है और ना ही मेरे बस में है। बस जो जिंदगी है वो आज है।
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