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स्कूल के दिनों के बात है। एक दिन ब्रेक खत्म होने के बाद हमारे एक सर बहुत ही गुस्से में क्लास में आये और सबको डाटने लगे की मना करने के बावजूद भी ग्राउंड के बाहर जाकर बेर किसने तोड़े हैं। कई लोग एक लड़की की तरफ देखने लगे और सर को ये इशारा मिल गया की इसने ही तोड़ा होगा। सर उस लड़की को डाँटने लगे। शुरू में तो वो लड़की मना करती रही की मैंने बेर नहीं तोड़ा है लेकिन जब सर का डाँटना बंद नहीं हुआ तो उसने बड़े ही आत्मविश्वास से अपना बैग सर के सामने टेबल पर रख दिया और बिना डरे बड़े ही आत्मविश्वास के साथ बोलने लगी की अगर मैंने बेर तोड़े हैं तो इस बैग में ही होंगे जिसको शक है वो इस बैग में देख ले। उसके ऐसा करते ही सर शांत हो गए और समझाने लगे की मैं सिर्फ तुमको ही नहीं बोल रहा था। सभी को बोल रहा था। जो भी अब ग्राउंड के बाहर बेर तोड़ने जायेगा उसकी खैर नहीं इसलिए जो कोई भी था अभी से सुधर जाओ।
बाद में पता चला की बेर उस लड़की ने ही तोड़े थे। वो बेर उसके बैग में ही थे। लेकिन उसने इतने आत्मविश्वास से वो बैग सामने रखा और झूठ बोला की किसी के अंदर उसको गलत साबित करने की हिम्मत ही नहीं हुई और हमारे सर भी शांत हो गए। मैं ये तो नहीं कहता और ना ही इस बात की तरफदारी करता हूँ की गलती करके झूठ बोलना चाहिए। मैं तो उस आत्मविश्वास की बात कर रहा हूँ जिसके कारण उस लड़की ने उस समय अपने विपरीत हुए हालात को बदल दिया। जरा सोचिये जब गलत होते हुए भी उस लड़की ने अपने आत्मविश्वास के कारण खुद को गलत साबित नहीं होने दिया। तो अगर हम इसी आत्मविश्वास के साथ जीवन में अच्छा करना चाहें तो हम क्या क्या नहीं कर सकते।
लेकिन सवाल ये उठता है की ये आत्मविश्वास है क्या ? ये हमारे अंदर कैसे आता है? आत्मविश्वास बनाये रखने के लिए क्या क्या करना चाहिए और क्या क्या नहीं करना चाहिए?
आत्मविश्वास क्या है - आत्मविश्वास का मतलब है खुद पर भरोसा की आप हर चीज़ कर सकते हैं। आप कैसे दिखते हैं ,आप की क्या कमज़ोरियाँ हैं , आपके सामने वाला व्यक्ति कैसा है ,आपके सामने कैसे हालात हैं यह कोई मायने नहीं रखता अगर आपको अपने ऊपर भरोसा है की मैं किसी भी तरह की समस्या से निपट सकता हूँ और कैसी भी समस्या हो मैं उसका हल निकाल सकता हूँ।
आत्मविश्वास का मतलब इसके शब्द में ही छुपा हुआ है "आत्म" यानि की "मैं" और "विश्वास" यानि की "भरोसा" और दोनों शब्द मिलकर बन गया आत्मविश्वास यानि खुद पर मेरा विश्वास। आत्मविश्वास के कारण ही आपको ये हिम्मत मिलती है की आप अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना कर सकें।
आपका आत्मविश्वास इस बात पर निर्भर करता है की आपके अंदर जो हुनर है या कौशल है और कुछ कर जाने की जो क्षमता है उसको आप कैसे देखते हैं यानि की आपका आपके हुनर और क्षमता के प्रति आपका नजरिया कैसा है। जैसे अगर आप कोई काम या बिज़नेस शुरू करना चाहते है जिसमे आप का हुनर है और आपमें क्षमता भी है। लेकिन अगर आप ये सोचने लग जाएँ की पता नहीं मैं कितना कामयाब होऊंगा और इतने लोगों के बीच मेरे काम या बिजनेस को कितनी पहचान मिलेगी। और आप अपनी कमजोरियों पर ध्यान देने ,अपनी ताकत पर ध्यान देने,और काम में आने वाली समस्याओं और उनके निदान पर ध्यान देने और अपने ऊपर ये भरोसा करने की बजाय की आप कर सकते है आप ये सोच कर पीछे हट जाते हैं की मैं नाकामयाब हो जाऊंगा तो आप वो काम कभी शुरू नहीं कर पाएंगे और इस तरह स्वयं पर भरोसा न करने के कारण आप जीवन में अपने लिए कभी भी अच्छा नहीं कर पाएंगे।
आत्मविश्वास हमारे अंदर कैसे आता है - आत्मविश्वास हमारे अंदर पहले से ही होता है। कोई भी इस भावना के साथ पैदा नहीं होता है की मैं आत्मविश्वासी हूँ और मेरी तरह बहुत से लोग आत्मविश्वासी पैदा होते है और बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो आत्मविश्वासी पैदा नहीं होते है। आत्मविश्वास सबके अंदर होता है बस कोई उस पर विश्वास करता है और कोई ये मान कर चलता है की हमसे नहीं होगा या हमारे बस का नहीं है।
आत्मविश्वास हमारे अंदर कैसे विकसित होता है - दोस्तों जब हम इस दुनिया में आते है तो हम जीवन के बहुत से पड़ाव से गुजरते रहते हैं। गुजरते समय के साथ साथ हमें बहुत सारे अनुभव भी मिलते रहते हैं और हम बहुत कुछ सीखते भी रहते हैं। इन्ही गुजरते हुए समय,अनुभव और ज्ञान इत्यादि के कारण और इनके आधार पर हमारा आत्मविश्वास भी विकसित होता रहता है। और इन्ही कारको के कारण अगर कुछ ऐसा हो जाये जो नकारात्मक हो ,जो आपके अंदर डर बनाता जाये या ऐसा कुछ भी अनुभव हो जो की सही नहीं हो तो आपका आत्मविश्वास विकसित नहीं होगा या ये भी कह सकते हैं की आपको खुद पर ये विश्वास करने में परेशानी हो सकती है की आप जीवन में कुछ कर सकते हैं।
आत्मविश्वास बनाये रखने के लिए क्या क्या करना चाहिए और क्या क्या नहीं करना चाहिए -
१. दूसरों से अपनी तुलना कभी ना करें चाहे वो तुलना रंग रूप को लेकर हो ,कद काठी को लेकर हो ,पढ़ाई को लेकर हो ,कामयाबी या नाकामयाबी को लेकर हो ,या किसी भी चीज़ को लेकर हो किसी से भी तुलना करने से बचें। आप ये सोचें की आपको ऊपरवाले ने जैसा भी बनाया है बहुत अच्छा बनाया है। आपके के अंदर अपनी काबिलियत है ,अपनी कमजोरियां हैं। आपके के आगे जैसे भी हालात हैं उनको ध्यान में रखते हुए आपको अपना लक्ष्य तय करना है और उसके अनुसार ऐसा काम करें जो आपके जीवन को बेहतर बना सके।
२. अगर आपसे कोई गलती हो जाती है जाने अनजाने में या किसी काम में असफल हो जाते हैं तो ऐसी हालत में खुद को बार बार कोसने और बुरा मानने की भावना से बचने का प्रयास करें और उसकी जगह ये भी प्रयास करें जानने की जो हुआ उसके पीछे क्या कारण है और उसको ध्यान में रखते हुए आगे क्या करना चाहिए।
३. अपनी सेहत पर भी ध्यान देना जरुरी होता है क्योंकि अगर आप की सेहत अच्छी नहीं होगी तो आप अच्छा नहीं सोच सकते ना अपने बारे में और ना किसी और के बारे में और ना ही किसी विषय के बारे में। अच्छी सेहत बनाने में बहुत सी बातें आती हैं जैसे - योग करना,कसरत करना ,सही लाइफस्टाइल ,सही खानपान ,सही आदतें , गलत आदतों से बचना चाहे वो खानपान को लेकर हों या लाइफस्टाइल को लेकर हो इत्यादि।
४. अगर आपको कोई भी काम करने में डर लगता है या किसी भी चीज़ के बारे में सोचने में डर लगता है तो उस डर का सामना करें , डर को अपने ऊपर हावी ना होने दें यानि की उस डर के कारण अपने काम को बंद ना करें उस काम के बारे में सही से सोचने का प्रयास करते रहें और उस काम को लगातार करते रहें।
५. आप अपने जीवन में जोखिम लेने से ना डरें। अगर कोई भी काम को करने से पहले ही अगर आपको इस तरह से डर लग रहा है जैसे पता नहीं कैसा काम है ,मैं कर पाउँगा की नहीं तो ऐसे में आप इसको एक चुनौती की तरह लें। और बाद में होगा ये की आपको महसूस होगा की मैं जितना डर रहा था उतना डरने वाली बात नहीं थी।
६. हो सकता है बीते समय में आपके साथ कुछ ऐसा हुआ हो जो बहुत बुरा हो जिसकी वजह से आप किसी मानसिक विकार के शिकार हो गए हों और उस विकार के कारण आपके आत्मविश्वास पर बुरा असर पड़ा हो जिसकी वजह से आप अपने सामाजिक जीवन और पेशेवर काम को ना कर पा रहे हों। ऐसे में आपको किसी पेशेवर मनोचिकित्सक की मदद लेनी चाहिए।
एक आत्मविश्वासी आदमी कैसा होता है - जरा सोचकर देखिये की एक आत्मविश्वासी आदमी कैसा होता है। एक आत्मविश्वासी आदमी वही करता है जो सही होता है या ये भी कह सकते हैं की वो वही करता है जो उसे सही लगता है वो इस बात की परवाह नहीं करता की लोग उसका साथ देंगे की नहीं। वो इसकी भी परवाह नहीं करता की लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे। वो इस बात की भी परवाह नहीं करता की जो काम वो करने जा रहा है वो काम कितना मशहूर है वो बस ये सोचता है की ये काम में उसकी रुचि है वो ये काम बहुत अच्छा कर सकता है। उसको पता होता है की जो काम वो करने जा रहा है उसमे समस्याएँ भी आएंगी इसलिए वो जोखिम लेने के लिए तैयार रहता है। वह अपने काम में होने वाली गलतियों को मानता है और गलतियों को ठीक भी करता है और उनसे सीखता भी है। वह लोगों की प्रतिक्रिया को सुनता है और समझता है चाहे वो तारीफ के रूप में हो या चाहे बुराई के रूप में हो। वह उन प्रतिक्रियाओं पर गौर करता है और आगे सही कदम बढ़ाता है। अगर कम शब्दों में कहूँ तो अपने अंदर आत्मविश्वास लाने का मतलब और कुछ नहीं बस अपने ऊपर भरोसा रखना है।
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