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बहुत समय से सोच रहा था की ये स्मार्टफोन की लत से छुटकारा कैसे पाऊँ। अजीब लत है ये जब जरुरत हो तब तो इसका इस्तेमाल करना ही है लेकिन जब जरुरत नहीं है तब भी इसका इस्तेमाल होता है। टॉयलेट जाने से लेकर बेडरूम तक इसकी हर जगह जरुरत हो गयी है यानि की सुबह की शुरुआत से लेकर नींद आने तक ये इस्तेमाल होता ही रहता है। कभी कभी तो ये हाल हो जाता है की आँखें और दिमाग भी जवाब देने लग जाते हैं की अब बस कर बहुत हो गया। और हम ये बात समझ भी रहे होते हैं लेकिन पता नहीं क्यों हम अपने आप को मना भी लेते हैं और थोड़ा और बस थोड़ा और करते करते आधी रात गुजर जाती है। उसके बाद ये भी महसूस होता है की ये तो बहुत ज्यादा हो रहा है ,अब इसपर काबू रखना ही होगा , बस अब आज के बाद इसका इस्तेमाल बंद। लेकिन अगले दिन से फिर वही होता है ये मालूम होते हुए भी की हमने तय किया है की इस आदत पर काबू रखना है। लेकिन मन का क्या करें ? मन तो होता ही है चंचल उसका तो स्वभाव ही है कहीं भी आकर्षित होना।
स्मार्टफोन में देखना |
स्मार्टफोन में तो वो सारी खूबियां हैं मन को आकर्षित करने की। जिसको ढेर सारी बातें करनी है वो बातें करे,जिसको ग्लैमर देखना है वो ग्लैमर देख ले,जिसको फिटनेस का शौक है वो फिटनेस से सम्बन्धित जानकारियां देख ले या यूँ कहूँ की जिसको जिस चीज़ में रूचि है वो हर चीज़ उपलब्ध है स्मार्टफ़ोन में और हर तरह से उपलब्ध है चाहे तो वीडियो देख लो। चाहे तो पढ़ लो। जिसको कुछ नहीं समझ में आ रहा है वो यूँ ही देख लो कुछ न कुछ तो मिल ही जाता है। अब ये तो मानी हुई बात है की जिस चीज़ का ज्यादा मन करता है आदमी वो काम ज्यादा करता है या हम ये भी कह सकते हैं जो चीज़े मन को भाती हैं वही चीज़ें हम ज्यादा करना चाहेंगे। आपने किसी फिल्म का डॉयलाग तो सुना ही होगा "मेरे मन को भाया ,मैं कुत्ता काट कर खाया "
लेकिन हमें खुद को ये समझाना ही पड़ेगा की क्या अगर हमे मिठाईया पसंद हैं तो क्या हमें दिनभर मिठाइयां खाना चाहिए ? नहीं। इसी तरह से हम स्मार्टफोन का कितना भी अच्छा इस्तेमाल करें , इसके लत से हमे इससे फायदा नहीं होगा। नुकसान होगा।
खुद को समझाना |
जैसा की पहले हमने समझा की स्मार्टफ़ोन हम इसलिए इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह हमारे मन को भाता है। हमारा मन तो होता ही है किसी ज़िद्दी और छोटे बच्चे की तरह है जो किसी भी चीज़ के लिए ज़िद करने लगता है और जल्दी मानता नहीं है। लेकिन बार बार समझाने और फुसलाने से मान भी जाता है। यही हाल हमारे मन का भी होता है।
दूसरी चीज़ है "जरुरत" हम लगभग हर जरुरत के लिए स्मार्टफोन पर निर्भर होते जा रहे हैं चाहे हो मनोरंजन हो या खरीदारी। जैसे अगर हम ये तय कर लें की हम स्मार्टफोन का इस्तेमाल एक तय समय पर करेंगे और सही में जितनी जरुरत है उतनी ही करेंगे तो इससे हम स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से बच सकते हैं। जैसे कई लोगों को ये आदत भी हो जाती है की जरुरत हो या न हो वो ऑनलाइन सर्फिंग करने लगते हैं और सिर्फ ऑफर देखकर ऐसे चीज़ें देखने लगते हैं और खरीद भी लेते है जिनकी उन्हें वास्तव में कोई जरुरत नहीं होती। इसमें उनका समय ,पैसा, और सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।
ऑनलाइन सर्फिंग |
स्मार्टफ़ोन के लत से बचने के लिए मैंने भी कुछ कोशिशें की हैं। जिनमे मैं कामयाब भी हुआ हूँ --
रात को सोते समय मैं स्मार्टफ़ोन का इंटरनेट बंद करके अपने से दूर रखता हूँ।
अलार्म के लिए फ़ोन की जगह अलार्म घडी का इस्तेमाल करता हूँ।
रात को हल्का खाना खाके जल्दी सोने की कोशिश करता हूँ।
सुबह जल्दी उठाकर योग और दूसरी एक्सरसाइजेज भी करता हूँ और स्मार्टफोन को दूर रखता हूँ। ध्यान वाले आसन करते समय एक बार जरूर खुद से कहता हूँ के मुझे स्मार्टफोन के लत से बचना है।
शाम को स्मार्टफोन घर पर रखकर छह से आठ किलोमीटर दूर तक पैदल चलता हूँ।
दूर तक पैदल चलना |
इसके बावजूद भी कभी कभी मैं स्मार्टफ़ोन का ज्यादा इस्तेमाल कर लेता हूँ लेकिन आज मैं कह सकता हूँ की मुझे स्मार्टफोन की लत नहीं है।
अगर आप के पास भी स्मार्टफोन के लत से बचने के कोई उपाय या मशवरा है तो जरूर कमेंट करें ।
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