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बहु कार्यण यानी बहुत सारे काम करना या ये भी कहा जा सकता है एक काम करने के साथ साथ दूसरे काम भी निपटाना। सोचने पर लगता है की ये कितना अच्छा विकल्प है। जो इसमें माहिर हो जाये वो जीवन में बहुत कामयाब होगा। लोगों के बीच एक अच्छी छवि बनेगी की इसने इतने सारे काम किये हैं। लेकिन क्या सच में ऐसा ही है ?
बहु कार्य यानी एक साथ कई काम करने की अवधारणा शुरू हुई १९६० में। पहली बार इसका उपयोग आईबीएम(इंटेरनेशनल बिज़नेस मशीन कॉर्पोरशन)जो की एक कंप्यूटर हार्डवेयर कंपनी है के द्वारा किया गया था। इसका उपयोग कंप्यूटर कितना काम कर सकता है पर बातचीत करने लिए किया गया था। या ये भी कह सकते हैं की कंप्यूटर की काम करने की क्षमता कितनी है और कितनी हो सकती है पर चर्चा करने के लिए मल्टीटास्किंग अवधारणा के उपयोग की शुरुआत की गयी थी।
बहु कार्यण |
ध्यान केंद्रित करना |
लेकिन अगर हम कोई काम को करने के बात करें तो हम एक समय में एक ही काम पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। हम एक समय में एक से ज्यादा कामों पर ध्यान नही लगा सकते। मनोवैज्ञानिकों द्वारा बहुत से प्रयोग किये गए हैं जिससे पता चलता है की जब लोग एक साथ बहुत से काम करने की कोशिश करते हैं तो काम देर से होते हैं। काम में गलती होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। क्योंकि दिमाग एक साथ कई कामों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है।
अभी भी बहुत से लोग मल्टीटास्किंग करने की कोशिश करते हैं। सिर्फ लोगों में ही नहीं बल्कि कई कार्यालयों में भी कर्मचारियों से मल्टीटास्किंग कराने की कोशिश की जाती है।
मैं भी अपने जीवन में मल्टीटास्किंग करने की गलती कर चूका हूँ। ये उस समय की बात है जब मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया था। कॉलेज की क्लास अटैंड करने के साथ साथ मैंने बाहर कम्प्यूटर क्लास भी ज्वाइन कर लिया था उसके अलावा मैंने इन्शुरन्स एजेंट बनने के लिए क्लास, शाम को फूटबाल खेलने के लिए एक फ्रेंड सर्किल भी ज्वाइन कर लिया था ,हर रविवार को एन सी सी जाना होता था। सुबह जल्दी उठ कर दौड़ना और योग करना ये मेरे रोज का नियम था।
उन दिनों मैं कम समय में ज्यादा और लगभग हर तरह की चीज़ें सीखना चाहता था। मुझे लगता था की मैं जितना ज्यादा क्लास ज्वाइन करूँगा और जितना ज्यादा काम करूँगा मैं उतना ही ज्यादा अलग अलग कामों में माहिर होऊंगा और जीवन में कामयाब होऊंगा। आप अंदाजा लगा सकते हैं की मेरा पूरा दिन कैसे गुजरता होगा।
लेकिन हुआ ये की किसी भी काम में मुझे महारत हासिल नहीं हुई। अपनी मल्टीटास्किंग की सोच के कारण मुझे रोजगार के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ा।
उन दिनों अगर मैंने किसी एक लक्ष्य पर ध्यान लगा कर मेहनत किया होता तो आज बात अलग होती।
अगर हम अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें तो हम पाएंगे की दिन भर हमें सिर्फ एक काम नहीं रहता की हम एक काम पर फोकस करें और उस काम को पूरा कर लें और निश्चिंत हो जाएँ की हमने काम कर लिया है। रोज रोज ना सही लेकिन कभी कभी तो ऐसा होता है की एक साथ बहुत से काम को निपटाना होता है तो सवाल ये उठता है की ऐसे समय पर क्या करना चाहिए। एक तरफ तो ये कहा जा रहा है जहाँ तक हो सके मल्टीटास्किंग से बचना चाहिए और दूसरी तरफ अगर एक साथ कई काम करने की जरुरत पड़े तो ये सोचकर किसी काम को करने से मना करना भी ठीक नहीं होता की एक समय में एक ही काम करना ठीक है। तो ऐसे में हमे ये समझने की जरुरत होती है की अपने काम को प्राथमिकता कैसे दें और ये क्यों जरुरी है । हम इसे एक उदाहरण की मदद से समझ सकते हैं तो आइये समझते हैं -
अपने काम को प्राथमिकता कैसे दें और ये क्यों जरुरी है - मान लीजिये आप बाजार जाते हैं घर के कुछ सामान लाने के लिए और बाजार जाकर आप सामान लेने लगते हैं। घर आने के बाद आपको याद आता है की अरे कुछ सामान लाना तो मैं भूल गया और मैंने कई ऐसे सामान ले लिए जो अभी जरुरी नहीं है और कुछ जरुरी सामान जो लेने थे मैं भूल गया। सोचिये ऐसा क्यों हुआ। क्योंकि आपने अपने काम को प्राथमिकता नहीं दिया और ना ही पहले से कोई प्लानिंग या लिस्ट बनाया था की कौन कौन से सामान लेने हैं और उनमें ज्यादा जरुरी सामान कौन से हैं और कम जरुरी सामान कौन से हैं। इसी तरह से हमारे व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन में भी कुछ काम कह लीजिये या लक्ष्य कह लीजिये आते रहते हैं जिन्हे हमे प्राथमिकता देते हुए और प्लानिंग के साथ करना होता है। इसी को कहते हैं अपने काम को और लक्ष्यों को प्राथमिकता देना।
दोस्तों यह हम सबके व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जीवन में जरुरी है। इसकी शुरुवात आप अपनी दिनचर्या से कर सकते हैं क्योंकि सबको अपनी दिनचर्या के बारे में पता होता है की कब क्या चल रहा है। आप रात को अपने अगले दिन के कामों के लिस्ट बना सकते हैं और जो काम ज्यादा जरुरी हों और ज्यादा कठिन हों उन्हें पहले करने की कोशिश करें। आपको ये भी पता होता है की आपकी दिनचर्या में काम के बीच कब और क्यों डिस्टर्बेंस होता है। उसके उपाय के बारे में सोचें उस हिसाब से टाइम मैनेज करें। फिर बाद में अपने कामों का रिव्यु करें। इससे आपको ये समझने में मदद मिलेगी की कौन से काम को कितना करना है ,कितना ब्रेक लेना चाहिए ,उन कामों को करने में क्या क्या बाधाएँ हैं और उनका उपाय क्या हो सकता है। इस तरह से आप अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में मल्टीटास्किंग भी कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल कर सकते हैं।
उम्मीद करता हूँ की आप मेरे इस लेख को पढ़कर मल्टीटास्किंग के बारे में समझ गए होंगे।
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