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उस दिन रात के साढ़े आठ बजे होंगे। मेरे छोटे साले के फ़ोन आया वो भी वीडियो कॉल। मैं उस समय फेसबुक पर अलग अलग वीडियो देख रहा था ,जो की मेरी रोज की आदत है। न चाहते हुए भी पता नहीं क्यों ,मैं सोने से पहले वीडियो देखता ही हूँ और बहुत ज्यादा देखता हूँ ,ये जानते हुए भी की इतना वीडियो देखना हानिकारक है फिर भी देखता हूँ।
स्मार्टफोन में देखना |
कुछ समय पहले मैंने इस आदत पर पूरी तरह काबू भी कर लिया था। शाम को ७ बजे के बाद मैं मोबाइल को दूर रख देता था। अलार्म के लिए भी मैंने एक छोटी अलार्म घडी ख़रीदा है और इस्तेमाल भी करता हूँ। क्योंकि कई बार ऐसा होता था की मैं मोबाइल में अलार्म लगाकर पास में रखता था चूँकि मोबाइल में होता था तो कुछ न कुछ देखने का मन करता ही था। और अगर एक बार देखना शुरू हो जाओ तो देखते देखते समय का पता ही नहीं चलता है और उसके बाद रात को नींद न पूरी होने का खामियाज़ा पूरे अगले दिन भुगतना पड़ता है। जैसे की रात को देर से सोने पर सुबह देर से उठना और बाकि के सारे काम देर से होना और अगर जबरदस्ती जल्दी उठ भी गए तो अधूरी नींद की वजह से काम में मन न लगना ,आलस होना, काम सही से न होना और सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।
सेहत |
जैसा की मैंने पहले कहा की कुछ समय पहले मैंने इस आदत पर काबू रख लिया था। इस आदत पर काबू रखने के लिए मैंने योग करते समय खासकर ध्यान वाले आसन करते समय अपने आपको बार बार ये कहता था और अभी भी कहता हूँ मुझे वो बुरी आदत छोड़नी है ,मुझे रात को जल्दी सोना है ,सुबह जल्दी उठकर योग करने के बाद दौड़ने भी जाना है। शाम को मैं स्मार्टफोन घर पर रखकर लगभग आठ किलोमीटर अपने घर से थोड़ा दूर एक पहाड़ पर पैदल ही अपने विचारों खोया हुआ टहलता चला जाता था और बाद मैं आकर कसरत भी करता था। और इस तरह मैं अपने आप को लगभग एक घंटा स्मार्टफोन से दूर रखने लगा। और इस तरह धीरे धीरे मैं स्मार्टफोन के लत से दूर हो गया।
बहुत अच्छा |
मैं रात को जल्दी सोता और पूरी नींद लेकर जल्दी उठता और योग और दौड़ करने के बाद मुझे अपने करियर से सम्बन्धित और घर के काम करने का ज्यादा समय मिल जाता। और धीरे धीरे मेरी मेहनत और अच्छी आदतें रंग लायी। मुझे लिखने का शौक है तो थोड़ा सर्च करने के बाद मुझे ब्लॉग लिखने का काम मिल गया। और धीरे धीरे मुझे और भी ऑनलाइन काम मिलने लगे क्योंकि मैं स्मार्टफोन का इस्तेमाल एक हद में और सही चीज़ों के सर्च पर इस्तेमाल करने लगा था।
ऐसे ही सर्च करते करते एक दिन ऐसा भी आया जब मुझे घर से करने वाली एक नौकरी(वर्क फ्रॉम होम जॉब ) मिल गयी जो की एक वॉइस प्रोसेस से सम्बंधित थी। बाकि काम तो मैं घर से कर ही रहा था। उस नौकरी की पगार भी काफी अच्छी थी। वो नौकरी सेल्स की थी इसलिए प्रोत्साहन राशि यानि इंसेंटिव भी काफी अच्छा मिल रहा था। प्रस्ताव पत्र यानि की ऑफर लेटर देखकर तो यही लग रहा था की नौकरी बहुत अच्छी है और पगार भी काफी अच्छा है।
खोजना |
लेकिन कहते हैं न की जरुरी नहीं है की जो चीज़ बाहर से जितनी अच्छी लगती हो वो अंदर से भी उतनी ही अच्छी हो। और समय तो बदलता ही रहता है ,बदलाव तो नियम है इस दुनिया का कभी अच्छे दिन आते हैं तो कभी बुरे दिन आते हैं। मेरे भी शुरू हो गए बुरे दिन। एक हफ्ते नौकरी करते करते समझ में आया की ये सिर्फ छलावा है उन्हें सिर्फ अपना एप्प बेचना है और ज्यादा से ज्यादा अपने ग्राहक बढ़ाने थे। दो दिन सही से बात करने के बाद वो लोग सभी पर एप्प बेचने का दबाव डालने लगे वो भी बिना वॉइस प्रोसेस की ट्रेनिंग दिए और उन लोगों की भाषा में भी कठोरता आने लगी। वो लोग हम लोगों के लिए गधा जैसे शब्द का भी उपयोग करने लगे। मुझे ये नौकरी कुछ ठीक नहीं लगी। मैंने ये नौकरी छोड़ने का मन बना लिया।
ये ठीक नहीं है |
मैं उस कंपनी के बारे में गूगल पर रिसर्च करने लगा। हालाँकि ये काम मुझे पहले कर लेना चाहिए था। अब जैसा भी हूँ ,हूँ तो इंसान और इंसानो से गलतियां तो होती ही हैं ,मुझसे भी हो गयी। सर्च करने पर और लोगों के रिव्यु पढ़ने पर पता चला की मैंने जैसा अनुभव किया और सोच रहा था ये कंपनी वैसी ही निकली। उसके बाद मैंने अपने कुछ अनुभवी दोस्तों से इस बारे में बात किया। उन दोस्तों ने राय दिया की ये नौकरी छोड़ दो ये धोखा देने वाली कंपनी है इन्हे सिर्फ अपना फायदा देखना होता है। आज कल ऑनलाइन नौकरी के नाम पर बहुत धोखा हो रहा है सतर्क रहो।
मैंने निर्णय लिया की ये नौकरी छोड़कर मुझे अपने अनुभव के आधार पर अच्छी जगहों और अच्छी कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन करना चाहिए। एक हफ्ते से इस नौकरी के कारण मैंने दूसरे काम जैसे की ब्लॉग लिखना बंद कर दिया था। मैं ब्लॉग लिखने के सोच रहा था और साथ में दूसरे कामों के लिए रिसर्च भी शुरू कर चूका था। अभी इन्ही उलझनों में था की एक दिन मेरे सामने कुछ ऐसा हो गया की मुझे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की परेशानियां झेलनी पड़ी। जिसके कारण मैं काफी अशांत रहने लगा।
बुरा लगा |
क्योंकि मैं योगाभ्यास, कसरत और फिटनेस पर बहुत ध्यान देता हूँ इसलिए मुझे शारीरिक समस्या ज्यादा नहीं हुई लेकिन मानसिक समस्या बहुत हुई।
इस समस्या से बचने के लिए मैंने कई उपाय किये। सुबह योग करने के बाद पहले से ज्यादा दौड़ने लगा। दिनभर अपने आप को ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखने लगा। शाम को मैदान में जाकर पहले से ज्यादा कसरत करने लगा। रात होने तक अपने आप को इतना थकाने लगा की बिस्तर पर जाते ही नींद आ जाये। लेकिन मानसिक परेशानी जल्दी कहाँ खत्म होती है ? रात को खाना खाते समय नींद भी बहुत आती थी मन करता था कब सो जाऊँ। लेकिन जब सोने का समय होता था तभी मुझे अपने साथ हुई उस घटना की तस्वीरें दिखने लग जाती थी और मैं गुस्से ,तनाव और दुःख से भर जाता और मेरी नींद गायब हो जाती उसके बाद मैं कितनी भी कोशिश करता जल्दी नींद आती ही नहीं थी। ऐसा नहीं है की मुझे कोई समझाने वाला नहीं था। लेकिन मुझे कैसा महसूस हो रहा था ये मैं ही जनता हूँ।
दुःख |
ये बात भी सही है की मेहनत और कोशिश एकदम से बेकार नहीं जाती। मैं रोज अपने ऊपर काबू रखने की कोशिश करता रहा। इसी बीच मैंने कई जगह नौकरी के लिए आवेदन कर दिया। और अपने कई काम फिर से शुरू कर दिया। सुबह योग और शाम को कसरत भी पहले से बेहतर करने लगा और उसका अच्छा असर भी मेरी सेहत पर दिखने लगा।
याद आना |
अब उस दिन पर आता हूँ जब रात को फेसबुक पर वीडियो देखने के दौरान मेरे छोटे साले का वीडियो कॉल आया और मुझे डिस्टर्बेंस भी महसूस हुआ। जब मैंने कॉल अटेंड किया तो साले से बात करने के बाद मुझे अपने बेटे से जो अभी तीन साल का है को देखने और बात करने का मौका मिला। उसको देखकर और उससे बात करके बहुत अच्छा लगा। वो बहुत शरारती है और बहुत प्यारा भी उसकी हरकतें देखकर मैं अपना गम भूल गया और काफी हँसा भी।
फिर मुझे याद आया की जब वो यहाँ था तब मैं उसको कुछ किताबों से इस समय कहानियाँ सुनाया करता था और वो भी बड़े मजे से सुनता था। उसको उन कहानियों के चरित्र भी याद थे -चाचा चौधरी ,साबू, पिंकी। वैसे ये किताबें मैंने अपने समय से बचा के रखा है और आज मेरे बेटे को भी पसंद है। जब मैंने कैमरे में उसको ये किताबें दिखाया और पूछा की बाबू क्या आपको ये याद है ?आपको ये कहानियां पसंद है न ! वो ध्यान से देखने लगा और अपने मामा से बोला की मुझे अपने पापा के पास जाना है। मैं हँसा और थोड़ी देर बात करने के बाद वीडियो कॉल कट गया।
लेकिन अगली रात मैं फिर से वीडियो देखने लगा और बहुत ज्यादा देखने लगा और बहुत ज्यादा गलत भी महसूस कर रहा था फिर भी देखे जा रहा था और मन में ये ख्याल भी था इससे अच्छा तो वो कहानी की किताबें ही पढ़ लेता उसमे आँखों पर दबाव भी नहीं पड़ता ,कुछ न कुछ नया सिखने को मिलता है मनोरंजन के साथ। कहानियां पढ़ने में मुझे आज भी उतना ही मज़ा आता है और उनसे जुडी कुछ यादें भी ताज़ा हो जाती हैं। जब से बेटा अपने नानी गांव गया है तब से मैं इन किताबों को भूल ही चूका था।
फिर भी मैं वीडियो देखता रहा और पहले से ज्यादा ही देखता रहा। मुझे काफी बुरा भी महसूस हो रहा था की ये क्या हो रहा है मैं अपने आप पर काबू क्यों नहीं कर पा रहा हूँ ये जानते हुए भी की सुबह जल्दी उठने के लिए मेरा जल्दी सोना जरुरी है और ये रोज हो रहा है।
दिमाग में कुछ होना |
उसके बाद मेरी नज़र एक और वीडियो पर पड़ी जिसमे बताया गया था की बहुत ज्यादा स्मार्टफोन देखने और सोशल मीडिया पर ज्यादा समय देने से हमारे दिमाग में एक तरह का रसायन बन जाता है और उसके कारण हम पहले से भी ज्यादा वो सब देखने के लिए आकर्षित होते रहते हैं और बाकि काम करने की हमारी क्षमता कम होती जाती है।
उसमे ये भी बताया गया था की इससे बचने के लिए आपको अपना स्मार्टफोन दूर रखना होगा और ऐसा काम करना होगा जिसमे आपकी रूचि हो। फिर मैंने स्मार्टफोन रखकर पदमासन मुद्रा में ध्यान लगाया भगवान को याद किया और अपने आप में ये दोहराता रहा की मुझे अब इस आदत को छोड़ना है और सुबह जल्दी उठकर योग करना है और दौड़ने भी जाना है। उसके बाद मैं सो गया लेकिन सुबह जल्दी नहीं उठ पाया क्योंकि रात को देर से सोया था वो भी शाम को ढेर सारा कसरत करने के बाद तो आठ घंटे की नींद लेना तो जरुरी ही था।
पदमासन |
लेकिन सुबह मैंने स्मार्टफोन के बजाय कहानी की किताब लेना सही समझा और कमोड पर भी कहानी की किताब लेकर बैठा। सुबह की बात तो ठीक है लेकिन बाकि दिनभर का क्या। मेरा सारा काम तो ऑनलाइन का ही है और मैं कितना भी काम करूँ मुझे कुछ न कुछ ऐसा दिख ही जायेगा जिससे मुझे रात को फिर से वीडियो देखने का मन करेगा। फिर मुझे याद आया की रात को जो वीडियो देखा उसमें ये भी बताया गया है की कम से कम एक दिन ऐसा रखें जिस दिन मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट बिलकुल इस्तेमाल न हों और दिमाग में बनने वाला वो रसायन बनना बंद हो जाये। मैंने सोचा क्यों न मैं लिखने का काम करूँ वो भी कॉपी पर कलम से। वैसे भी मुझे लिखना काफी पसंद है। क्यों न यही सब लिखूँ जिससे दूसरों की भी मदद हो सके जो मेरे जैसी समस्या से जूझ रहे हों।
लिखना |
और फिर मैं स्मार्टफोन और इंटरनेट से दूर रहते हुए पूरा दिन थोड़ा ब्रेक लेकर लिखता रहा और अंततः मैंने अपना लेखन भी पूरा कर लिया और अपने मन पर काबू भी। अब यही कहना चाहूंगा की समस्या कोई भी हो कैसी भी हो ,एकदम से आसान तो कुछ भी नहीं होता लेकिन लगातार कोशिश करने और मेहनत करते रहने से हमें आखिरकार सफलता मिल ही जाती है।
खुद पर काबू |
रात को लगभग दस बजे तक मैंने ये लेख पूरा कर लिया और अपने आप में मैं बहुत ख़ुशी महसूस कर रहा था। मेरी आँखों को भी काफी राहत महसूस हो रहा था। कई दिनों के टॉर्चर के बाद मेरी आँखों को आराम मिल रहा था। काम ख़त्म करने के बाद मैं छत पर टहलने लगा और अपनी पत्नी से फ़ोन पर बात करने लगा। अपने ऊपर काबू रखने की वजह से मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था जिसके कारण पत्नी से भी बहुत अच्छे से बात हुई।
अपने कमरे में आने के बाद मैंने स्मार्टफोन दूर रखा और बिस्तर पर लेट गया। काफी देर तक और बहुत दिनों के बाद लिखने के कारण मेरी गर्दन और हाथ की उँगलियों में काफी दर्द महसूस हो रहा था लेकिन मेरे मन में जो ख़ुशी महसूस हो रही थी उसके आगे ये दर्द कुछ भी नहीं था।
दिल में ख़ुशी |
रात को सोते समय मेरे मन में वो भावनाएँ फिर से जगने लगी लेकिन नहीं इस बार नहीं अब मैंने अपने आप पर काबू कर लिया है और आज मैं अपने आप को कोस नहीं रहा हूँ बल्कि अपने आप से खुश हूँ। उसके बाद मैं अच्छी नींद सो गया और सुबह पहले से जल्दी उठा और मैं अपने आप मैं बहुत खुश था की हाँ मैंने कर दिखाया ,मैंने अपनी बुरी आदत पर काबू कर लिया। मैं अपने मन से ,शरीर से ,हर तरह से अच्छा और नयी ऊर्जा से भरा हुआ महसूस कर रहा था। मैं इस बारे में जितना कहूं मुझे कम लग रहा है। लेकिन इतना उम्मीद कर सकता हूँ की मेरी इन बातों को पढ़ने या सुनने के बाद अगर आप किसी तरह की परेशानी या विकार से जूझ रहे हैं तो आपको कोशिश करने के बाद सफलता जरूर मिलेगी।
सफलता |
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