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लॉकडाउन का समय था। सड़कें खाली थीं। बाजारों से भीड़भाड़ गायब हो चुकी थी जो जहाँ था वही रुका हुआ था। न तो कोई नौकरी से छुट्टी आ सकता था न ही घर से कोई छुट्टी मनाने जा सकता था। खरीदारी सिर्फ दवाओं ,किराना ,सब्जी वगैरह की ही हो सकती थी। घर में या तो अपने हुनर के अनुसार काम करो या तो टीवी या मोबाइल से अपना मनोरंजन करो😎।
सुनसान |
ऐसे में ही एक सुबह एक रिश्तेदार का फोन आ गया जो की फ़ौज में है। वह दूसरी जगह पोस्टेड है। उनका घर मेरे घर से थोड़ा दूर दूसरे मुहल्ले में है। मुझे लगा की बहुत दिन हो गए हैं और लॉकडाउन की वजह से उसके घर आने की कोई संभावना नहीं है। इसलिए उसने हाल चाल पूछने के लिए फ़ोन किया होगा। लेकिन नहीं उनको तो टीवी खरीदना था। जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी। वो भी ऐसे हालात में😕।
समझना |
इस निर्णय के पीछे वजह ये थी की उनके बच्चे उनकी पत्नी को बहुत परेशान कर रहे थे। शरारती तो वो हैं ही लेकिन मुख्य वजह है "स्मार्ट फ़ोन " 👈
स्मार्ट फ़ोन तो स्मार्ट है लेकिन बच्चे नहीं। बच्चे तो अक्ल के कच्चे लेकिन मन के सच्चे हैं। स्मार्ट फ़ोन एक और बच्चें दो हैं। ऐसे में सरदर्द के साथ स्मार्ट फ़ोन के अस्तित्व को भी खतरा है😅। वे कुछ समय पहले इस स्थान पर शिफ्ट हुए थे। अभी बहुत सामान खरीदना बाकि था। टीवी भी। स्मार्टफोन कितना भी स्मार्ट हो लेकिन अपनी रक्षा नहीं कर सकता ऐसे हालात में😅।
शरारती |
बड़ी उम्मीद से मुझे फ़ोन किया था उन्होंने । मैंने उन्हें कहा की अभी मुमकिन नहीं है क्योंकि मॉल भी बंद है। इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकाने भी बंद हैं। ऑनलाइन देखने पर सिर्फ दिख ही रहा था। आर्डर करने का ऑप्शन नहीं था।
दुविधा |
मैंने उनको सांत्वना दी की कोई बात नहीं लॉकडाउन ख़त्म होते ही हम साथ में मिलकर सर्च करेंगे टीवी। दो दिन इंतज़ार कर के देख लेते हैं क्या पता ऑनलाइन आर्डर शुरू हो जाए।भारी मन से उन्होंने फोन रख दिया। उम्मीद तो नहीं थी लेकिन मैं ऑनलाइन चेक करता रहा और मन में ये चल रहा था की ऐसे हालत में कहाँ मिलने वाली है टीवी ?दो दिन बाद जब उनसे बात हुई तो पता चला उनके घर में टीवी आ चुकी है और उनके बच्चे मज़े से टीवी देख रहे हैं।
मुझे ताज्जुब हुआ। पूछने पर पता चला की उसके पड़ोसी के ही कोई रिश्तेदार है जिसका इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनेस है और उसको टीवी बेचनी थी। शायद लॉकडाउन की वजह से उसकी डिलीवरी नहीं हो पायी होगी और आर्डर केंसल हो गया होगा हालाँकि सबके मामले में ऐसा ही हो ये जरुरी नहीं है।
लेकिन इस घटना से मुझे ये सिखने को मिल गया की परिस्तिथियाँ कितनी ही आपके विपरीत हों और सब कुछ असंभव लगने लगे फिर भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और कोशिश करते रहना चाहिए😇। यहाँ मेरी गलती यही थी की मेरा ज्यादा ध्यान "क्या क्या नहीं हो सकता " पर था। मेरा ध्यान होना चाहिए था की "क्या क्या हो सकता है " 😇
उम्मीद |
दोस्तों ,ऐसे और भी उदाहरण आपको मिल जायेंगे रोज की जिंदगी में अपने आसपास। हमारे जीवन में उम्मीद है क्या और उम्मीद का दामन क्यों नहीं छोड़ना चाहिए। दोस्तों आपने अपने जीवन में कई बार सुना होगा की कोई किसी इंटरव्यू में सेलेक्ट नहीं हो पाया या जिस नौकरी के लिए उसने जी जान से तैयारी किया था वो उसमे किसी कारण से सेलेक्ट नहीं हो पाया। और उस चीज़ के बारे में सोच कर निराश होने लगा ,बहुत ज्यादा दुखी रहने लगा ,उसे नशे की लत लग गयी या फिर उसने आत्महत्या कर लिया और अपने जीवन को समाप्त कर लिया। और अपने पीछे छोड़ गया अपने परिवार को दुखी होने के लिए।
जरा सोचिये दोस्तों क्या किसी एग्जाम में फेल होना ,बार-बार फेल होना ,किसी मनपसंद नौकरी में सेलेक्ट ना होना ,या किसी काम में बार बार असफल होना इत्यादि से जीवन ख़त्म हो जाता है। क्या उसके बाद जीवन में कुछ करने को नहीं रहता है।
बार बार नाकामयाब होना ये कभी साबित नहीं करते की आप ख़राब हो या कुछ नहीं कर सकते बल्कि ये तो ये संकेत देते हैं की आप को और भी ज्यादा कुछ करना है ,कुछ अलग करना है, पहले से बेहतर करना है । आपको नहीं करना है तो बस ये की हालात चाहे जैसे भी हों आपको उम्मीद नहीं छोड़ना है। आपको ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे जिसमें ऐसे कई लोग हैं जो स्कूल के समय में पढाई में अच्छे नहीं थे ,बार बार फेल होते थे ,कई ऐसे भी हैं जो बनना कुछ चाहते थे लेकिन किसी कारण सेलेक्ट ना होने के कारण उन्होंने जीवन में उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और अपने जीवन में पहले से बेहतर मुकाम बनाया। आप महान बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर का उदाहरण ले सकते हैं जो पढ़ने में इतने अच्छे नहीं थे और वो फेल भी हुए हैं। आज आप उनकी उपलब्धि देख सकते है की वो आज अपने उन सहपाठियों से भी ज्यादा कामयाब हैं जो उनके समय में पढाई में टॉप रैंक में आते होंगे।
जब इस तरह के हालात होते हैं तब हमें लगने लगता है की अब कुछ नहीं हो सकता है । लेकिन उम्मीद रखते हुए कोशिश करते रहना चाहिए। ऐसे हालात में लगता सब कुछ असंभव है लेकिन कुछ ना कुछ तो संभव होता ही है।
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