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उस दिन मैं बहुत उत्सुक था क्योंकि एक तो लॉकडाउन का समय ,कही भी जाने को पाबंदी थी। घर में बहुत बोर भी हो रहा था। कई दिनों से सोच रहा था की काश कही घूमने जाता और उस दिन किस्मत से वो मौका मिल गया था😃। उस दिन मुझे आर्मी स्कूल के अध्यापक पद के लिए परीक्षा देना था सोचा दोनों काम हो जायेंगे ढाई घंटे का पेपर भी दे दूंगा और उसके बाद कही घूम लूंगा😀।
परीक्षा का केंद्र मेरे कॉलेज के थोड़ा आगे था और मेरे घर से लगभग एक घंटे की दुरी पर था। ऑनलाइन ऑफलाइन और सब तरह से तैयारियां करके उस दिन मैं निश्चिंत था लेकिन कभी कभी लगता थोड़ा और तैयारी कर लेता हूँ लेकिन नहीं मैं जानता हूँ की मैं अभी जितना रिलैक्स रहूँगा परीक्षा में ध्यान लगाना उतना अच्छा होगा उसकी जगह मैंने सोचा की तुक्का कैसे लगाना है अब क्या है की सभी सवालों के उत्तर मुझे पता हो ये जरुरी नहीं है चाहे कितना भी तैयारी कर लूँ वैसे भी एग्जाम के सिलेबस कभी एकदम से पुरे नहीं होते😉।
बारहवीं बोर्ड के एग्जाम से पहले मेरी टीचर ने कहा था की एग्जाम के कम से कम दो घंटे पहले एकदम रिलैक्स हो जाना चाहिए इसलिए मैं भी रिलैक्स हो गया था😁। हॉल टिकट से लेकर मास्क तक सारा जरुरी चीज़ें रखने के बाद सोचने लगा स्कूटी से जाऊ या मोटरसाइकिल से फिर तय किया स्कूटी सही रहेगी स्कूटी में अपना हेलमेट ,मोबाइल और जरुरी चीज़ें रखकर आराम से एग्जाम दे सकता हूँ। सोचा चलो एक बार वाहन की हालत देख लिया जाये😎।
खुशी |
लेकिन ये क्या स्कूटी तो शिवम् लेकर चला गया😅 ,चलो कोई बात नहीं मोटरसाइकिल से चला जाऊंगा😇 ,मै अंदर चला गया। थोड़ी देर में पापा बाबू को घुमाने के लिए स्कूटी ढूढ़ने लगे और पूछने पर मम्मी ने बताया की शिवम् ले गया है अभी आ जायेगा। लेकिन ये क्या वो तो मोटरसाइकिल लेकर चले गए अब क्या होगा मेरा😕,मैं उनको रोक भी नहीं सकता था क्योंकि वो सुबह साथ में कैंटीन चलने को कह रहे थे तो मैंने कहा कितने बजे तक वापस आना है,आज मेरा एग्जाम है। उन्होंने पूछा कितने बजे जायेगा मैंने कहा १२ बजे के बाद निकल जाऊँगा ,उसके बाद वो नाराज़ होते हुए और कहते हुए चले गए की तू परीक्षा दे😡😡।
थोड़ी देर पहले ही मैंने मोटरसाइकिल को कपडे से पोछकर साफ़ किया था और स्टार्ट कर के चेक भी किया था और रिलैक्स था की चलो ठीक है। लेकिन अब क्या करुँ कैसे जाऊँगा एग्जाम देने😱 ?
मैंने बाहर आकर इधर उधर देखा और फिर अंदर किचन में गया जहाँ मम्मी ,भाभी और वाइफ तीनो थी। मैंने बताया की बाहर स्कूटी और मोटरसाइकिल दोनों नहीं हैं और मेरा जाने का टाइम नज़दीक है। मम्मी ने बताया की शिवम अपने लिए कुछ लेने गया है जल्दी आ जायेगा। ये सुनकर मै थोड़ा रिलैक्स हुआ😅। थोड़ी देर बाद शिवम् आ गया।
कुछ समय बाद मेरा भी टाइम हो गया। सेब खाने के बाद। दही चाटना और दहलीज़ पर रखे गिलास का पानी पीने का रिवाज़ निभाने के बाद मैंने स्कूटी में चाभी लगाया और देखा अरे ये क्या इसमें तो पेट्रोल खत्म होने वाला है ,सिर्फ एक ही डंडी दिख रहा है मीटर में😞।
गुस्सा |
वो तो अच्छा है की पास में नया पेट्रोल पंप खुल चूका है। शिवम् और पापा पर थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था😠। फिर सोचा कोई बात नहीं होता है ऐसा कभी-कभी😇। फिर मैं पेट्रोल पंप पर पंहुचा जैसे ही लाइन लगाने के लिए खड़ा हुआ वहाँ के एक आदमी ने टोका।यहाँ नहीं वहाँ खड़े हो जाओ अगर सब्र रखना है तो यहाँ खड़े हो जाओ और अगर जल्दी है तो वहां खड़े हो जाओ। उसने ये बात मजाक के अंदाज में कहा मैंने सोचा अच्छा है वही खड़ा हो जाता हूँ वहाँ लाइन भी नहीं है और जल्दी हो जायेगा😊।
पेट्रोल भराने के बाद जैसे ही निकलने को हुआ उसी आदमी ने फिर टोका टंकी का ढक्कन ठीक से बंद नहीं है पेट्रोल रास्ते में उछल कर गिर जायेगा और उसने ढक्कन ठीक किया मैंने उसे धन्यवाद कहा और आगे निकल पड़ा और सोचा चलो अब एग्जाम सेंटर ढूढ़ना है।
वैसे गूगल मैप पर सब सर्च कर लिया है😊। वो तो अच्छा है की पास में ही नया पेट्रोल पंप खुल गया है नहीं तो आज मेरा एग्जाम देने के लिए जाना मुश्किल हो जाता। पर मुझे क्या पता था की अभी और भी समस्याएँ होने वाली हैं।
सिगनल |
जैसे ही सीबीएस (इस शहर का एक बहुत ही व्यस्त रहने वाली सड़क) में सिगनल खुलने पर स्कूटी स्टार्ट करने लगा तो स्कूटी स्टार्ट ही नहीं हो रही थी पीछे की गाड़ियां आगे निकलने लग गयी दो बार ट्राई करने पर गाड़ी स्टार्ट हो गयी😅।
गाड़ी चलने लगी तो ऐसा लगा की टायर स्लिप हो जायेगा अरे ये क्या! लगता है टायर पंचर है😓। पीछे से एक बाइक वाला आगे निकलते हुए हंसकर बोला पीछे का टायर पंचर है मैंने मुस्कराते हुए हाँ में सर हिलाया और कहा पता है😅। मैंने सोचा अच्छा हुआ बहुत पहले ही घर से निकल गया था। अब पंचर ठीक करने वाली दुकान ढूढ़ना है और ये टायर ठीक कराना है और समय पर एग्जाम सेंटर पहुंचना है।
स्कूटी धीरे धीरे चलाते हुए मैं पंचर ठीक करने वाली दुकान ढूढ़ने लगा और रास्ते में बहुत लोगों ने कहा टायर पंचर है मै चुपचाप चलता रहा क्या जवाब देता मैं उनको😏। गोले कॉलोनी पार करते ही नाके पर एक पंचर ठीक करने वाली दुकान दिखी मैं दुकान पर गया👀। उसने टायर देखकर कहा यहाँ नहीं होगा ये ट्यूबलेस टायर है। उसने पच्छिम की तरफ इशारा करते हुए कहा की आगे जा के राइट ले लो।
मैं जैसे-तैसे स्कूटी चलाते हुए उस दुकान पर पहुँचा👀। वह दुकानवाला टायर चेक करने लगा और मैं इधर उधर देखकर अपनी सोच में डूबा रहा💭। ये मेरा पंचर ट्यूबलेस टायर का पहला एक्सपीरियंस था👈। उसने कुछ कहा तो मैंने पूछा पंचर है क्या ? उसने कहा अरे स्कूटी का हैंडल पकड़ो और ब्रेक दबाओ मैंने सोचा कोई बात नहीं होता है (मुझे महसूस हो रहा था की मैंने बेवकूफी की है लेकिन मज़ेदार है 😉) फिर सोचने लगा अच्छा हुआ बहुत पहले निकला हूँ घर से अब ये जल्दी से ठीक हो जाये और मैं टाइम पर एग्जाम देने पहुंच जाऊँ😇।
थोड़ी देर बाद उसने गाड़ी में हवा भरकर कहा पंचर नहीं है मैंने सोचा चलो ठीक है। मैंने पूछा कितने पैसे हुए उसने कहा पांच रूपए मैंने जैसे ही बटुआ खोला तो देखा अरे छुट्टे पैसे तो है ही नहीं सब दो सौ के और पांच सौ के नोट है😏। मैंने उससे पूछा दो सौ के छुट्टे होंगे क्या आप के पास ?उसने ना कहा। मैंने उससे पूछा आसपास कोई खाने पीने वाली दुकान है क्या और मैंने इधर उधर देखा दुकाने बंद थी।
उसने कहा रहने दो कोई बात नहीं मैंने कहा ऐसे कैसे तुम्हारे पैसे तो देने ही हैं। उसने कहा दूसरी बार आना तो दे देना। मैंने कहा मैं हमेशा यहाँ नहीं आता मैं आगे देखता हूँ कोई दुकान खुली होगी तो छुट्टा कराता हूँ। लेकिन आगे भी ऐसी कोई दुकान नहीं खुली थी अब मैंने सोचा चलो चलते हैं एग्जाम सेंटर टाइम पर पहुंचना है ,ये कितना अच्छा आदमी है एग्जाम होने के बाद इसके पैसे देकर जाऊंगा😇।
जैसे ही मैं सफर करते हुए पंचवटी के पुल की तरफ पंहुचा पिछले टायर ने फिर वैसा ही रिएक्शन दिया लगता है पंचर ही है उसने ठीक से देखा नहीं है ,पता नहीं इतनी देर से क्या देख रहा था वो। हे भगवान कैसे भी एग्जाम सेंटर पहुंच जाऊ समय पर😬।
फिर सोचा हो सकता है कुछ नीचे आ गया होगा इसलिए थोड़ा स्लिप को गया होगा😅। फिर मैं अपने कॉलेज वाले रोड पर सिग्नल के करीब आ गया था।कभी मेरा इस रोड पर रोज का आना जाना था आज बहुत दिनों बाद इस रोड पर सफर कर रहा था और रिलैक्स महसूस कर रहा था की अब एग्जाम सेंटर पहुँचने वाला हूँ और ये आ गया आकाश पेट्रोल पंप जिसके अपोजिट एग्जाम सेंटर है😊।
सड़क |
मुख्य रास्ता |
खैर कोई बात नहीं मैं एग्जाम सेंटर समय पर पहुंच गया😀। कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा की सारी फॉर्मेलिटी पूरा करते हुए मैं अपने निर्धारित जगह पर सिस्टम के सामने बैठ गया और इधर उधर देखने लगा। ईमारत काफी पुरानी लग रही थी ,सारी व्यवस्था कामचलाउ थी। दिवार पर पेन्ट भी उखड़े हुए थे और थोड़े दरार भी दिख रहे थे। सामने दिवार पर देखते हुए मेरी नज़र एक कैलेंडर पर पड़ी जिस पर एक खूबसूरत मॉडल की तस्वीर थी जो किसी एनर्जी ड्रिंक का प्रचार कर रही थी😉। मैंने सोचा काफी अच्छी दिख रही है। मेरी नज़र कैलेंडर की तारीखो पर पड़ी और मैं चौंका अरे ये क्या साल 2019 ! लेकिन अभी तो २०२० चल रहा है !कही मैं टाइम ट्रेवल करके एक साल पीछे तो नहीं चला आया !वैसे भी सुबह से गड़बड़ ही हो रहा है😓। मैंने खिड़की से बाहर बाजु वाली ईमारत को देखा ,वो ईमारत भी पुरानी लग रही थी। लेकिन जब मैंने अपने सामने कंप्यूटर के स्क्रीन पर देखा तब यकीन हुआ समय ,साल ,और तारीख सही हैं, कैलेंडर एक साल पुराना है😅।
खूबसूरत मॉडल |
इसके बाद भी समस्याएँ कम नहीं हुई।दो बार सिस्टम की समस्या आयी। एक बार दूसरे सिस्टम पर मुझे शिफ्ट किया गया। थोड़ी देर बाद फिर से मुझे मेरे सिस्टम पर बिठाया गया। समय भी बर्बाद हुआ फिर भी मैंने जल्दी जल्दी पेपर हल किया। रिवीजन करते समय पता चला कई सवाल स्किप हो गए हैं। मैंने एक सवाल तो हल किया। लेकिन और सवालों को दोबारा देखने का समय नहीं बचा था😓। समय समाप्त होने के बाद फिर से सिस्टम में समस्या हो गया। पेपर सबमिट ही नहीं हो रहा था। वहां के लोगो को सूचित करने के बाद और उन लोगो के द्वारा बार बार कोशिश करने के बाद आखिरकार मेरा पेपर सबमिट हो गया😌। मन में डाउट था की पता नहीं सही से सबमिट हुआ की नहीं। लेकिन पेपर ख़त्म होने का सुकून भी था😅।
सुकून |
अब सोचा चलो अब वाशरूम चलता हूँ काफी देर से पेशाब रोक के रखा है। वाशरूम के बाहर एक लड़का खड़ा था। उसने बोला अंदर कुण्डी नहीं है और एक बार में दो ही लोग जा सकते हैं। मैंने अपनी बारी का इंतज़ार किया और हल्का होने के बाद जैसे ही हाथ धोने के लिए नलका चालू किया पानी कुछ ज्यादा ही प्रेशर से निकला और छीटें मेरे कपड़ों पर पड़ गयी। सोचा चलो ये भी सही,सुबह से प्रोब्लेम्स तो हो ही रही हैं😏।
समझना |
मैं बाहर निकला और अपनी स्कूटी के पास पंहुचा तो देखा पिछले टायर में बिलकुल हवा नहीं थी टायर पंचर था😓। पीछे से एक आदमी आगे निकलते हुए बोला भाई टायर पंचर है। मैंने मुस्कुराते हुए कहा की पता है😅।
मुस्कुराना |
उसके बाद मैं स्कूटी लेकर पंचर ठीक करने वाली दुकान ढूढ़ने चल पड़ा और उस दुकान वाले के बारे मैं सोचा आखिर उसने ठीक क्या किया ? ऐसे ही बेवकूफ बनाया। अब मैं उसको पैसे देने नहीं जाऊंगा😠। मुझे आगे एक पंचर ठीक करने वाली दुकान दिखी।मैंने वहाँ जाकर टायर दिखाया। वो बोला यहाँ नहीं होगा ये ट्यूबलेस टायर है। उसने पीछे की तरफ एक पेट्रोल पंप की ओर इशारा करके कहा😊👉 वहाँ चले जाओ तुम्हारा काम हो जायेगा।
मैं उस तरफ जाते हुए सोचने लगा की क्या सोचा था की एग्जाम देने के बाद कहीं घूम लूंगा लेकिन अब बहुत देर हो जाएगी। अब तो पंचर ठीक हो जाये और समय पर घर पहुंच जाऊँ😅। जल्द ही अँधेरा होना भी चालू हो जायेगा। मैं टायर वाले के पास पहुँचा और कहा -देखो पंचर है क्या ? ट्यूबलेस टायर है😊। उसने देखा और कहा की ये ट्यूबलेस टायर नहीं है ,ट्यूबवाला टायर है😁। मुझे झटका लगा की अभी तक दुकान वाले इसे ट्यूबलेस टायर क्यों बता रहे थे 😕😅! वैसे भी मैं पहली बार स्कूटी का टायर ठीक करा रहा था। जब ये स्कूटी खरीदी थी पापा ने, तो मुझे पता नहीं था क्योंकि उस समय मैं ऑफिस में था और स्कूटी या फिर गाड़ियों के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं रहती😑। लेकिन मेरे लिए उस दिन का सबसे बड़ा झटका था "ट्यूबलेस टायर😂 "!
ताज्जुब |
उस दुकानवाले ने कहा टायर नया ले लो👨। मैंने कहा अभी नहीं।अभी पंचर ठीक कर दो। बाद में देखता हूँ। कब लोगे नया टायर? जब टायर फट जायेगा? ये टायर बहुत घिस चूका है👦। मैंने कहा ऐसी बात नहीं है ,मैं बहुत दूर से आया हूँ देवलाली के तरफ रहता हूँ। जाते जाते अँधेरा हो जायेगा। अभी जल्दी से पंचर वाला काम हो जाये बस। जब तक पंचर ठीक हो रहा था। तब तक मैं कभी मोबाइल में गाना सुन रहा था ,कभी इधर उधर देख रह था और कभी अपने ख्यालों मैं डूबा रहा। भूख भी बहुत लग रही थी लेकिन बाहर खाना जोखिम भरा था क्योंकि कोरोना का डर था। लॉकडाउन तो खुल गया था लेकिन कोरोना होने की खबरें बंद नहीं हुई थीं। समय तो लगा लेकिन पंचर ठीक हो गया और स्कूटी चलने के लायक हो गयी।
स्कूटी |
वैसे इस बार भी मुझे स्कूटी का हैंडल पकड़ने को और क्लच दबाने को कहा गया। इस बार मैंने सही सुना और वैसा ही किया। इस बार छुट्टे की भी समस्या नहीं हुई और मेरे पास छुट्टे पैसे भी आ गए। सोचा आगे चलकर कुछ हल्का फुल्का खा लूँगा😊। मैं उनको धन्यवाद कहकर निकल पड़ा घर की ओर😇। घर से निकलते समय सोचा था की एग्जाम होने के बाद कहीं घूमने जाऊँगा। लेकिन अब सही सलामत घर पहुँच जाऊँ तो अच्छा है। वैसे भी जरुरी नहीं है की हम जैसा चाहें वैसे ही हो। खैर कोई बात नहीं फिर बाद में कभी जाऊँगा किसी अच्छी जगह पर मन बहलाने के लिए। कभी कभी हालात के अनुसार निर्णय लेकर कदम बढ़ाना पड़ता है। इंसान को उम्मीद और कोशिश नहीं छोड़ना चाहिए।
ढलती शाम |
शाम ढल रही थी,अँधेरा बढ़ रहा था और भूख भी। ढलती शाम ,बढ़ता अँधेरा ,भूख और शहर का भीड़ भाड़ वाला शोर में मैं लौट रहा था घर की ओर😇। और साथ में चल रही थी ज़िन्दगी भी अपने साथ अच्छे -बुरे ,अजीब -गरीब अनुभवों को लेकर। अगले सुबह के इंतज़ार में😇।
अगली सुबह |
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