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कागज़ के नोट तेरा क्या कहना
तू ही तय करता है किसको भागना है
और किसको है चैन से रहना
कागज़ के नोट तेरा क्या कहना
कोई भटकता है तो जून की रोटी के लिए
तो कोई सोच रहा है कौन से तरह का आज खाऊँ खाना
कागज़ के नोट तेरा क्या कहना
तू हर देश में है अलग अलग नाम से
कोई तुझे पाने के लिए सही रास्ते पर चलता है ,मेहनत करता है ,
तो कोई तुझे पाता है धोखा और गलत काम से
क्या फर्क पड़ता है कोई अंगूठाछाप हो या चरित्र का कितना भी ख़राब हो
समाज में रहता है उसका दबदबा तू जिसके पास हो
कौन सा हुनर अच्छा है ,कौन सा हुनर बुरा है ये इस बात पर तय करता है तू किसके साथ कितना जुड़ा है
कागज के नोट तेरा क्या कहना
कौन सी जगह पर रहना है ,कौन सी जगह छोड़ना है ये तुझपर ही निर्भर करता है तुझे कहाँ है मिलना
कागज़ के नोट तेरा क्या कहना
अब घर परिवार की ही बात ले लो किसको मिलेगी कितनी इज़्ज़त और किसको है ताने सहना ये तुझपर ही निर्भर है
कागज़ के नोट तेरा क्या कहना
कोई माने या ना माने पर आज की सच्चाई तो यही है देशभक्ति ,इंसानियत ,धर्म -कर्म ये सब ऊपर ऊपर की बातें हैं
आपकी इज़्ज़त तो इस बात पर निर्भर हैं की आप कितना कमाते हैं
चाहे मीडिया हो ,राजनीति हो या ऐसे कोई और ये क्या दिखाएंगे ,किसको अच्छा बताएंगे और किसको बुरा बताएंगे ये इस बात पर निर्भर है ये किससे कितना कमाएंगे
कागज़ के नोट तेरा क्या कहना
कहीं भी हो पोस्ट और कोई भी हो पोजीशन क्या फर्क पड़ता है
बस होना चाहिए ज्यादा से ज्यादा पगार और मिलना चाहिए ज्यादा कमिशन
जब तक है जीना तेरे पीछे है भागना
कागज़ के नोट तेरा क्या कहना
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