सुनें👇 कागज़ के नोट तेरा क्या कहना तू ही तय करता है किसको भागना है और किसको है चैन से रहना कागज़ के नोट तेरा क्या कहना कोई भटकता है तो जून की रोटी के लिए तो कोई सोच रहा है कौन से तरह का आज खाऊँ खाना कागज़ के नोट तेरा क्या कहना तू हर देश में है अलग अलग नाम से कोई तुझे पाने के लिए सही रास्ते पर चलता है ,मेहनत करता है , तो कोई तुझे पाता है धोखा और गलत काम से क्या फर्क पड़ता है कोई अंगूठाछाप हो या चरित्र का कितना भी ख़राब हो समाज में रहता है उसका दबदबा तू जिसके पास हो कौन सा हुनर अच्छा है ,कौन सा हुनर बुरा है ये इस बात पर तय करता है तू किसके साथ कितना जुड़ा है कागज के नोट तेरा क्या कहना कौन सी जगह पर रहना है ,कौन सी जगह छोड़ना है ये तुझपर ही निर्भर करता है तुझे कहाँ है मिलना कागज़ के नोट तेरा क्या कहना अब घर परिवार की ही बात ले लो किसको मिलेगी कितनी इज़्ज़त और किसको है ताने सहना ये तुझपर ही निर्भर है कागज़ के नोट तेरा क्या कहना कोई माने या ना माने पर आज की सच्चाई तो यही है देशभक्ति ,इंसानिय...
सुनें 👇 यह मेरे कॉलेज के दिनों की एक घटना है जिसमे एक दिन मुझे कॉलेज से घर जाते समय एक लड़की दिखी। जानी पहचानी लगी। फिर याद आया की एक समय स्कूल के दिनों में वो मेरी ही क्लास में थी। तब वह काफी मोटी हुआ करती थी लेकिन अब काफी फिट है और खूबसूरत भी। इसके आगे जो कुछ भी हुआ उससे मुझे ये सबक मिला की भावनाओं में बहकर किसी के भी सामने और कहीं भी किसी के भी बारे में कुछ भी नहीं बोल देना चाहिए चाहे वो सच ही क्यों ना हो क्योंकि लोग हर बात को गहराई से समझने के बजाय ज्यादातर गलत मतलब ही निकालते हैं। हमेशा की तरह उस दिन भी मैं कॉलेज से निकला घर जाने की लिए अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए। वैसे तो मैं डायरेक्ट बस ना मिलने पर दूसरे स्टॉप तक पैदल ही जाता था। लेकिन उस दिन मैं ऑटो से जा रहा था। उस दिन आसमान में बदल छाये हुए थे और बारिस होने की भी संभावना थी। उस ऑटो में बैठे हुए अभी कुछ ही दूर पहुंचा होऊंगा की ऑटो वाले ने एक लड़की के सामने ऑटो रोक दिया जो की एक सिग्नल से थोड़ी दूर सड़क के किनारे खड़ी थी। शायद वो लड़की उसकी पहचान की रही होगी। वह ऑटोवाला उसे ऑटो में बैठने के लिए बोल रहा था लेकिन वो...