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वो वक़्त था जो गुज़र गया
हवा के हलके हलके मद्धम झोंके की तरह
हम साथ मिले और नदी की बहती लहरों की तरह
हम अलग अलग दिशा में बह गए
कुछ अफ़साने बनकर यादों में कैद होकर रह गए
कुछ यादों में मिलते रहते हैं
कुछ हकीकत में दुबारा मिले और फिर से खो गए
कुछ सपने पूरे हुए तो कुछ सपने सपने ही रह गए
कुछ पराये अपने हो गए
तो कुछ अपने पराये होकर रह गए
समय के साथ हम आगे ना बढ़ सकें ऐसी कोई बात नहीं
लेकिन कुछ जख्म ऐसे भी मिले हैं गुज़रे हुए वक़्त में
जिनके शायद वक़्त के पास भी कोई इलाज़ नहीं
जिसपे गुजरी है वही दर्द समझता है
जिनपे नहीं गुजरी उन्हें इसका कोई अंदाज़ा नहीं
उन जख्मों को सहते हुए भी हम आगे ना बढ़ सकें ऐसी भी कोई बात नहीं
गुजारिश है ये आगे आने वाली पीढ़ियों से
बोना है तो फूल बोओ जो हमेशा महकते रहेंगे
कांटे नहीं जो सदियों तक चुभते रहेंगे
आएगा एक दिन ऐसा भी ना मैं रहूँगा ना आप रहेंगे
अगर थमा दिए हैं फूल उनके हाथों में
तो जिंदगी हमेशा खुशगवार और महकती रहेगी
अगर थमा दिए हैं कांटे उनके हाथों में
तो वो सदियों तक चुभते रहेंगे
ना वो दूसरों को सही से जीने देंगे ना खुद सही से जी पाएंगे
अगर चुभ भी जाएँ कुछ कांटे फूलों के रखरखाव में
तो उन्हें हम प्यार से सहेंगे
किसी पर इसका एहसान नहीं दिखायेंगे
अपना फ़र्ज़ समझकर भूल जायेंगे
और खुशी से आगे बढ़ते रहेंगे
क्यों ना हम ये तय करें की नफरत का कांटा बोना बंद करें
प्यार के फूल खिलाएं
भले ही कल हम रहें या ना रहें
ये प्यार के फूल हमेशा महकते रहेंगे
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