Skip to main content

कृपया सोचिये,समझिये फिर राय दीजिये यूँ ही कुछ भी मत बोल दीजिये

सुनें -


यूँ ही स्मार्टफोन में कुछ वीडियो देखते देखते एक वीडियो दिखा जिसको देखकर मैं कुछ सोचने पर मजबूर हुआ। उस वीडियो में एक महाशय ये ज्ञान बाँट रहे थे की अगर जिंदगी में कामयाब होना है तो कम्फर्ट लेवल ,अच्छी लाइफ स्टाइल ,हेल्दी लाइफ स्टाइल ,रिलैक्सेशन ,आराम ये सब छोड़ दो। ये सब बकवास की बातें हैं। अगर आप इन सब के बारे में सोचेंगे तो कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे।

कृपया सोचिये,समझिये फिर राय दीजिये यूँ ही कुछ भी मत बोल दीजिये

हालाँकि जिन्होंने ये बात कही है वो बहुत बड़े सेलेब्रिटी हैं। जाहिर सी बात है की उनके पास बहुत पैसा है। बहुत सारी पूंजी भी है। उनके घर में हर तरह की सुविधा भी होगी। आखिर उनके जैसे लोगों के पास नहीं होगी तो किसके पास होगी। आम लोगों के पास तो होगी नहीं। अगर कम्फर्ट लेवल ,हेल्दी लाइफ स्टाइल इत्यादि इतनी ही बुरी चीज़ है तो जितने भी अमीर लोग और बड़े लोग हैं वो बड़े बड़े बंगले क्यों बनवाते हैं रहने के लिए तो एक मंजिला घर जिसमें सभी के लिए जरुरत के हिसाब से कमरे हों काफी है। एक गाड़ी होते हुए भी ज्यादा गाड़ियां क्यों खरीदते हैं। उनके आने जाने के लिए तो एक गाड़ी ही काफी है। इन लोगों का खेती से भी कुछ लेना देना नहीं होता है फिर ये लोग बड़े बड़े फार्महाउस क्यों बनवाते हैं। जब ये कहीं दूसरी जगह जाते हैं तो बड़े बड़े महँगे होटलों में क्यों ठहरते हैं जहाँ उनके कम्फर्ट और सुविधा की सारी चीज़ें मौजूद हों। 

कृपया सोचिये,समझिये फिर राय दीजिये यूँ ही कुछ भी मत बोल दीजिये

ये लोग जिन आम लोगों को हाथ में माइक पकड़कर कुछ भी बोल देते हैं। कुछ भी राय दे देते हैं। ये लोग कुछ भी बोलने से पहले ये सोचते हैं की उनके जीने के तरीके में और आम आदमी के जीने में कितना अंतर है। जहाँ इनकी थोड़ी सी तबियत भी खराब हो जाये तो इनके लिए फॅमिली डॉक्टर से लेकर शहर के अच्छे डॉक्टर तक की सेवा पल भर में मौजूद हो जाएगी वही अगर आम आदमी के घर मौसम के बदलाव के कारण किसी छोटे बच्चे की तबियत खराब हो जाये तो उसे अपने बीमार बच्चे की डॉक्टर से जाँच करवाने में उसे पहले अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है फिर डॉक्टर के क्लिनिक में जाकर लम्बी लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है।

इंतज़ार करते हुए एक तरफ वो बच्चे की तबियत देखकर परेशान होता है दूसरी तरफ ये भी सोच रहा होता है की आज ऑफिस समय पर जा पाउँगा की नहीं या आज बॉस से रिक्वेस्ट करके छुट्टी लेनी पड़ेगी। और इस प्रक्रिया में हो सकता है उसे अपने बॉस से या सीनियर से खरी खोटी भी सुननी पड़ जाये। हो सकता है लाख मिन्नतें करने के बावजूद भी उसे छुट्टी ना मिले। और डॉक्टर वाला काम निपटाने के बाद उसे तुरंत ऑफिस जाना पड़ जाये। इस बीच थोड़ा आराम जरुरी होता है। आराम ना मिलने के कारण हो सकता है उसका बुरा असर उसके ऑफिस के काम पर पड़े और उस कारण भी उसे बहुत खरी खोटी सुननी पड़े। ये सिर्फ एक उदहारण है।

ऐसी कई चीज़ें हैं आम आदमी के जीवन में जो उन सेलिब्रिटीज को नहीं झेलना पड़ता है। और ये भी समझने वाली बात है की आम आदमी रोजगार के कारण और अन्य जिम्मेदारियों के कारण पहले से अपनी बहुत सारी इच्छाओं को मार कर जीता है। और देखा जाये तो कम्फर्ट में रहने का तो उसके पास कोई विकल्प ही नहीं होता है। जो आम आदमी थोड़ा अलग सोचता है और उसके सपने ऊँचें होते हैं उसे बहुत से विरोधों से गुजरना पड़ता है खासकर अपनों के विरोधों से। ऐसे में इस तरह का बयान की आप कम्फर्ट लेवल छोड़िये ,हेअल्थी लाइफ स्टाइल कुछ नहीं होता इत्यादि बेतुका और गुमराह करने वाला लगता है। 

आज के जीवन में भागदौड़ वाली जिंदगी ,तनाव इत्यादि के कारण लोगों को किस तरह की मानसिक ,शारीरिक और सामाजिक समस्याओं से जूझना पड़ता है ये कहने की जरुरत नहीं है। अगर अपने आस पास के लोगों और माहौल पर गौर किया जाये तो ये सारी चीज़ें समझी जा सकती हैं। 

Please think, understand, then give opinion, don't just say anything

अगर सेलिब्रिटीज लोग एक बार कहीं रो दें तो न्यूज़ बन जाती है और बहुत बड़ी जनसंख्या इनके बारे में जानना ,सुनना और राय देना पसंद करती है। लेकिन आम आदमी की परेशानी आम आदमी को ही समझना पड़ता है। और अगर आम आदमी को कोई समस्या आ भी जाये चाहे वो बड़ी हो या छोटी तो उसे कहाँ कहाँ और कितने चक्कर लगाने पड़ते हैं ये किसी से भी छुपा नहीं है लेकिन फिर भी चल रहा है। 

ये भी सही है की कोई भी कामयाब इंसान ऐसे ही कामयाब नहीं बन सकता। कामयाबी के पीछे उनकी अपनी कहानी या फिर ये भी कह सकते हैं की संघर्ष होगा। लेकिन फिर भी बिना समझे कुछ भी बोल देना क्योंकि लोग आपको सुनना पसंद करते हैं ठीक नहीं है। आप अपने संघर्ष के बारे में बताईए ,सफलता के लिए टिप्स दीजिये ये अच्छी बात है जिससे जो संघर्ष कर रहे हैं उन्हें कुछ मदद मिले। 

लेकिन ये भी सोचने वाली बात है की हमेशा उनको ही कम्फर्ट लेवल छोड़ने के लिए ,आराम छोड़ने के लिए ,हेल्दी लाइफ स्टाइल छोड़ने के लिए क्यों कहा जाता है जो संघर्ष कर रहे हैं ,जो अगर आराम की सोचें तो ऐसा लगेगा की वो काम करने से भाग रहे हैं। अगर हेल्दी लाइफ स्टाइल की सोचें तो उन्हें अपने रोज़मर्रा के जीवन में बहुत बदलाव करना पड़ेगा और संघर्ष भी। उन लोगों को क्यों नहीं कहा जाता जो हर तरह से सक्षम हैं जिनके पास जरुरत से ज्यादा संसाधन हैं। जबरदस्ती ना सही उन लोगों से माइक पकड़कर निवेदन तो किया ही जा सकता है की आप अपने संसाधनों का सही इस्तेमाल कीजिये ,लोगों का और समाज का भला कीजिये ,जागरूकता लाईये ,समानता लाइए ,जीवन को जीने लायक आसान बनाइए। आखिर ये भी तो सोचने वाली बात है की विज्ञान ने जो तरक्की किया ,जिसके अंतर्गत नयी नयी चीज़ों की खोज हुई वो इसलिए हुई की जीवन को आसान बनाया जा सके ना की नए तरह के संघर्ष में झोंका जा सके। 

चलिए ये भी मान लेते हैं की जिनके पास अपने संसाधन हैं ,ढेर सारी धन सम्पति है वो या तो उनके मेहनत और संघर्ष की है या फिर उनकी किस्मत में है। वो उस सम्पति का जैसे चाहे वैसा इस्तेमाल करें और अपना मनपसंद जीवन जियें। ये उनकी मर्जी है। लेकिन दूसरों को ये राय देना ठीक नहीं है की कम्फर्ट लेवल छोड़ो ,हेल्दी लाइफ स्टाइल छोड़ो वगैरह वैगेरह। 

अगर किसी आम आदमी को अपने गांव में ही अच्छा रोजगार मिल जाये ,वो अपने पूरे परिवार के साथ एक खुश और स्वस्थ्य जीवन जिए तो इसमें क्या बुराई है। क्या ऐसा होने से समाज का और देश का भला होना बंद हो जायेगा। 

और जो कामयाब हैं उनसे ये निवेदन है की अगर आप दूसरे की मदद नहीं कर सकते तो अपनी जीवन का आनंद लीजिये। कम से कम कहीं भी बिना सोचे समझे कुछ भी राय देने से बचें। 

वैसे ये बात सिर्फ किसी बड़े आदमी या आम आदमी के बीच अंतर का नहीं है बल्कि ये सभी के समझने लायक है चाहे वो कोई भी हों आम आदमी ,खास आदमी ,महिला ,पुरुष ,विद्यार्थी ,कामयाब इंसान ,नाकामयाब इंसान  इत्यादि। सबको ये समझना चाहिए की पहले कृपया सोचिये,समझिये फिर राय दीजिये यूँ ही कुछ भी मत बोल दीजिये। 

कबीरदास जी का एक दोहा भी तो है की बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि, हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।  इसका मतलब है बोली एक अनमोल चीज़ है। इसे बोलने से पहले जान लेना चाहिए की पहले अपने ह्रदय रूपी तराजू में इसे तौलना है यानि की समझ लेना चाहिए की हमें क्या बोलना चाहिए उसके बाद ही हमे उसे अपने मुँह से बाहर निकालना चाहिए या बोलना चाहिए। 

अगर आप अपने आसपास गौर करें तो कोई भी किसी के बारे में कुछ भी बोल देता है जैसे कोई अच्छे पद से सेवामुक्त हुआ व्यक्ति बात बात पर नए लोगों के बारे कमियाँ निकालता हुआ मिल सकता है । खासकर रोजगार के मामले में। और इसका उल्टा भी हो सकता है की कोई नया व्यक्ति अपने घर के किसी पुराने व्यक्ति की कमियां निकलते हुए पाया जा सकता है। बिना ये समझे हुए की उसके समय और जिनकी वो कमियाँ निकाल रहा है उनके समय में क्या अंतर है और क्या वजह हो सकती है। अपने आसपास आपको और भी उदाहरण मिल सकते हैं। 

Click for English


Comments

Popular posts from this blog

वो मुझे ही ढूढ़ रही थी

सुनें 👇 यह मेरे कॉलेज के दिनों की एक घटना है जिसमे एक दिन मुझे कॉलेज से घर जाते समय एक लड़की दिखी। जानी पहचानी लगी। फिर याद आया की एक समय स्कूल के दिनों में वो मेरी ही क्लास में थी। तब वह काफी मोटी हुआ करती थी लेकिन अब काफी फिट है और खूबसूरत भी। इसके आगे जो कुछ भी हुआ उससे मुझे ये सबक  मिला की भावनाओं में बहकर किसी के भी सामने और कहीं भी किसी के भी बारे में  कुछ भी नहीं बोल देना चाहिए चाहे वो सच ही क्यों ना हो क्योंकि लोग हर बात को गहराई से समझने के बजाय ज्यादातर गलत मतलब ही निकालते हैं। हमेशा की तरह उस दिन भी मैं कॉलेज से निकला घर जाने की लिए अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए। वैसे तो मैं डायरेक्ट बस ना मिलने पर दूसरे स्टॉप तक पैदल ही जाता था। लेकिन उस दिन मैं ऑटो से जा रहा था। उस दिन आसमान में बदल छाये हुए थे और बारिस होने की भी संभावना थी। उस ऑटो में बैठे हुए अभी कुछ ही दूर पहुंचा होऊंगा की ऑटो वाले ने एक लड़की के सामने ऑटो रोक दिया जो की एक सिग्नल से थोड़ी दूर सड़क के किनारे खड़ी थी। शायद वो लड़की उसकी पहचान की रही होगी। वह ऑटोवाला उसे ऑटो में बैठने के लिए बोल रहा था लेकिन वो...

My first WhatsApp group

Due to not changing according to the changing times in life, due to the confusion and running of today's life, sometimes something happens to us that we are ashamed to remember it and there is a lot of laughter too. A similar incident has happened to me too, remembering which I feel ashamed and also laugh. This incident is from 2017 when I used to work in an office. I have used the same words and styles which we use in our daily routine, due to which some styles of speaking words of Hindi have been used in English translation so that I can make you feel as much as I was feeling. group of two people It was almost half an hour since my office shift started that  afternoon I was discussing something with my new group leader Sagar. Then my old group leader Harish came towards me. And told me- "Rakesh I forbade you to request leave on WhatsApp group. If it is very urgent then message me personally on WhatsApp". Harish who was my old group leader and now may have been shifted t...