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पिछले भाग में आपने पढ़ा की कैसे सुबह उठने के बाद और दौड़ने के लिए जाने से पहले बदले हुए मौसम को देखकर मुझे एहसास हुआ की अकसर हमारे सामने ऐसे हालात होते हैं जिसमें हमारे पास दो या दो से अधिक काम होते हैं और हमारे लिए सभी महत्वपूर्ण होते हैं लेकिन हमें सोच समझकर और आकलन करके ये तय करना होता है की किसको कितना महत्व देना चाहिए और हालात के अनुसार सभी कामों को कैसे निपटाना चाहिए। ये भी तय करना पड़ सकता है की कौन से काम को कुछ समय तक नहीं करना है। और कौन से काम का होना ज्यादा जरुरी हैं।
अब जानिए आगे क्या हुआ। हम तीनो निकल पड़े जंगलों और पहाड़ों की ओर टहलने ,दौड़ने और कसरत करने के लिए। जंगल की तरफ जाने से पहले हमे लगभग दो किलोमीटर पक्की रोड पर टहलते हुए जाना पड़ता है। हम पेड़ पौधों ,पास की नदी को निहारते हुए और आपस में कुछ इधर उधर की बातें करते हुए और थोड़ा हँसी मजाक करते हुए हम कच्चे रास्ते पर पहुंचे जो की जंगल के करीब ही है।
मैं सुबह की ताज़ी हवा को महसूस करते हुए थोड़ा आगे निकल गया तो एक मित्र ने पीछे से मजाक में कहा की देखो हमारे सेनापति आगे चल रहे हैं। ये सुनकर मैं पीछे आ गया और साथ में चलते हुए बोला की ऐसी बात नहीं है। हम सब बराबर हैं। वैसे ये अकसर होता है की टहलने के दौरान मैं खुद में खोया हुआ थोड़ा आगे निकल जाता हूँ और फिर सुनने में आता है की देखो हमारे सेनापति आगे चल रहे हैं। और मैं फिर से पीछे आ जाता हूँ और कहता हूँ की हम सब बराबर हैं।
थोड़ी ही देर बाद जंगल में पहुंच कर और वो जगह के पास जाते हुए जहाँ हमे दौड़ना और कसरत करना था। हवा को महसूस करते हुए मैंने कहा की आज क्या मस्त हवा चल रही है।आज का मौसम बहुत अच्छा है। चलो आज इस मौसम का आनंद लेते हैं। चलो आज उन पहाड़ों पर दूर तक घूमते हैं। शायद उन दोनों मित्रों के मन में भी यही चल रहा था। उनमें से एक ने जो की मुझसे उम्र में बड़े हैं ने कहा की हाँ चलो उस पहाड़ पर चलते हैं। दूसरे मित्र ने भी जो की मुझसे उम्र में छोटा है ने भी कहा की चलो चलते हैं मौसम का आनंद लेते हैं। मैंने कहा हाँ दौड़ना और कसरत तो चलता रहेगा।
वैसे तो ये हमारा रोज का नियम है की लगभग दो किलोमीटर तक पैदल चलना ,उसके बाद वार्मअप करना और अपने सामर्थ्य अनुसार दौड़ लगाना ,कसरत करना और घर जाने के बाद अपने अपने कामों और जिम्मेदारियों में व्यस्त हो जाना। और इस नियम का हम सख्ती से पालन करते हैं। लेकिन हमेशा नियमों में बंधना जिंदगी को बोर बना देता है। कभी कभी सामने के हालात को देखते हुए नियम तोड़ना या थोड़ा बदलाव भी जीवन में आनंद ला देता है। इसलिए हमने भी बदलाव कर दिए अपने आज की सुबह के नियम में और बदले हुए मौसम का ,ठंडी ठंडी हवाओं का ,बिलकुल हलकी हलकी बारिश की बूँदों का और हरियाली का आनंद लेते हुए हम आपस में बातें करते हुए आगे चल पड़े। और हाँ ये बात हर किसी की जीवन में मायने रखती है चाहे आप किसी भी क्षेत्र में काम करते हों। मौसम का आनंद लेते हुए भी हमने लगभग उतना ही कसरत कर लिया और पसीना बहा लिया जितना की रोज बहाते हैं।
आगे क्या क्या हुआ जानने के लिए कृपया अगले भाग का इंतज़ार करें। जिसको पढ़ने के बाद आपको अच्छा महसूस होने के साथ जीवन के कुछ महत्वपूर्ण बातों की जानकारी भी मिलेगी।
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Good one Mr.Rakesh
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