सुनें 👇 क्या बीते हुए कल का हमारे जीवन में कोई महत्व नहीं होता है ?अगर किसी की भी बात सुनी जाये खासकर प्रेरक वक्ताओं की तो वो ये जरूर कहते हैं कभी ना कभी की बीते हुए कल को भूल जाओ और आज में जिओ और जीवन में आगे बढ़ो। लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। बीता हुआ कल बिलकुल वैसे ही होता है जैसे किसी कंप्यूटर की कोई ऐसी फाइल हो जो कभी कंप्यूटर के मेमोरी से मिटाई नहीं जा सकती है। उस फाइल को या तो छुपाया जा सकता है या कुछ समय के लिए भुला जा सकता है लेकिन एकदम से मिटाया नहीं जा सकता है। हमारा बीता हुआ कल और उससे जुड़ी यादें कभी ना कभी ,किसी ना किसी बहाने से हमारे सामने आ ही जाती हैं। कुछ यादें हमें अच्छा महसूस कराती हैं और कुछ यादें अफ़सोस और बुरा भी महसूस कराती हैं। ये सोचते समय किसी हिंदी फिल्म का मुझे ये डॉयलाग याद आता है की मुझे अपना वतन याद आता है कभी दर्द बनकर और कभी दवा बनकर। एक शाम जब मैं अपने परिवार के लोगों को छोड़ने रेलवे स्टेशन पहुँचा तो उस शाम का नजारा देखकर मुझे कुछ साल पहले की एक शाम याद आ गयी। वैसे तो सर्दी का मौसम था लेकिन वो शाम गर्मी के मौसम जैसा महसूस हो रहा...
सुनें 👇 यह मेरे कॉलेज के दिनों की एक घटना है जिसमे एक दिन मुझे कॉलेज से घर जाते समय एक लड़की दिखी। जानी पहचानी लगी। फिर याद आया की एक समय स्कूल के दिनों में वो मेरी ही क्लास में थी। तब वह काफी मोटी हुआ करती थी लेकिन अब काफी फिट है और खूबसूरत भी। इसके आगे जो कुछ भी हुआ उससे मुझे ये सबक मिला की भावनाओं में बहकर किसी के भी सामने और कहीं भी किसी के भी बारे में कुछ भी नहीं बोल देना चाहिए चाहे वो सच ही क्यों ना हो क्योंकि लोग हर बात को गहराई से समझने के बजाय ज्यादातर गलत मतलब ही निकालते हैं। हमेशा की तरह उस दिन भी मैं कॉलेज से निकला घर जाने की लिए अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए। वैसे तो मैं डायरेक्ट बस ना मिलने पर दूसरे स्टॉप तक पैदल ही जाता था। लेकिन उस दिन मैं ऑटो से जा रहा था। उस दिन आसमान में बदल छाये हुए थे और बारिस होने की भी संभावना थी। उस ऑटो में बैठे हुए अभी कुछ ही दूर पहुंचा होऊंगा की ऑटो वाले ने एक लड़की के सामने ऑटो रोक दिया जो की एक सिग्नल से थोड़ी दूर सड़क के किनारे खड़ी थी। शायद वो लड़की उसकी पहचान की रही होगी। वह ऑटोवाला उसे ऑटो में बैठने के लिए बोल रहा था लेकिन वो...