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जब करीब होता हूँ उसके
lagaav |
नाचने गाने का मन करता है
सब कुछ अच्छा लगने लगता है
जब दूर होता हूँ उससे
मन उदासियों से भर जाता है
उसकी चिंता सताती है
एक डर सा बना रहता है
कुछ भी रास नहीं आता है
ये लगाव भी कैसे कैसे एहसास कराता है
कभी उदासी की वजह बन जाता है
तो ये कभी खुशियों की वजह बन जाता है
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वो मुझसे अनजान थी मैं उससे अनजान था
समय के साथ साथ हम करीब आये
वो क्या पल थे वो मेरी पहचान थी मैं उसकी पहचान था
समय के साथ साथ हम दूर हो गए ,रास्ते बदल गए
हम अलग होकर भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं
दूर होकर भी लगता है मैं उसके करीब हूँ वो मेरे करीब है
ये लगाव भी क्या अजीब चीज़ है
ये लगाव भी क्या अजीब चीज़ है
जिससे हो गया वो पराये होकर भी अपने हो गए
जिससे नहीं हुआ या नहीं रहा वो अपने होकर भी पराये हो गए
जिससे हो गया वो दूर होकर भी करीब है
जिससे नहीं हुआ वो पास होकर भी दूर है
सच में ये लगाव का खेल बड़ा ही अजीब है
किसी ने इसे बरक़रार रखा और किसी ने इसे तोड़ दिया
जिसने तोड़ दिया उसका साथ टूट गया
जिसने बरकरार रखा उसने दूर होते हुए भी दिल से रिश्ता जोड़ लिया
ये लगाव भी किसी चुम्बक से कम नहीं है
ऐसा चुम्बक जो बिना तार के भी तार का संचार बन जाता है
सच में ये लगाव भी कैसे कैसे एहसास कराता है
परायों को भी अपना बनाता है
बिछड़े हुओं को भी करीब होने का एहसास दिलाता है
यादों के बहाने से आकर जीवन के लिए कभी दर्द तो कभी दवा बन जाता है
सच में ये लगाव भी कैसे कैसे एहसास दिलाता है
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