सर्दी की सुबह थी। हल्की हल्की धुप आ चुकी थी। मैं भी धुप में आकर खड़ा हो चूका था। आखिर सर्दी के दिन थे और सर्दी की धुप में खड़े या बैठे रहने का अपना मजा होता है। सुना है सुबह की धुप बहुत जरूरी भी होती है सेहत के लिहाज़ से। जो लोग अपने दिनचर्या में धुप नहीं ले पाते हैं उन्हें भी सेहत से सम्बंधित समस्या हो जाती है और उसके बाद लगाओ डॉक्टर के चक्कर और दवाइओं और इलाज पर समय निकालो और पैसे भी खर्च करो। इससे अच्छा अपना थोड़ा सा समय निकालकर धुप में खड़े रहना ज्यादा अच्छा है। इसलिए मैं भी सुबह की हल्की हल्की धुप में खड़ा होता ही हूँ थोड़ी देर ही सही। उस दिन भी जब मैं धुप में खड़ा था तभी दो चिड़ियाँ आयी फुदकती हुई और आपस में शरारत करती हुई। ये चिड़ियाँ थी छोटी छोटी प्यारी प्यारी गौरैया जो की अब लुप्त होने की कगार पर है। लेकिन हमें क्या हमें तो अपनी ही समस्याओं से फुर्सत नहीं है अपने परिवार को देखें ,अपने रोजगार पर ध्यान दें या सामाजिक और प्राकृतिक सेवा में लग जाएँ। इतना समय ही किसके पास है। वैसे भी मेरे और आप जैसे इंसान के बस में क्या है। हम और आप ना कोई सरकार चला रहे हैं ,ना तो जंगलों को साफ़ करने वाल...
सुनें 👇 यह मेरे कॉलेज के दिनों की एक घटना है जिसमे एक दिन मुझे कॉलेज से घर जाते समय एक लड़की दिखी। जानी पहचानी लगी। फिर याद आया की एक समय स्कूल के दिनों में वो मेरी ही क्लास में थी। तब वह काफी मोटी हुआ करती थी लेकिन अब काफी फिट है और खूबसूरत भी। इसके आगे जो कुछ भी हुआ उससे मुझे ये सबक मिला की भावनाओं में बहकर किसी के भी सामने और कहीं भी किसी के भी बारे में कुछ भी नहीं बोल देना चाहिए चाहे वो सच ही क्यों ना हो क्योंकि लोग हर बात को गहराई से समझने के बजाय ज्यादातर गलत मतलब ही निकालते हैं। हमेशा की तरह उस दिन भी मैं कॉलेज से निकला घर जाने की लिए अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए। वैसे तो मैं डायरेक्ट बस ना मिलने पर दूसरे स्टॉप तक पैदल ही जाता था। लेकिन उस दिन मैं ऑटो से जा रहा था। उस दिन आसमान में बदल छाये हुए थे और बारिस होने की भी संभावना थी। उस ऑटो में बैठे हुए अभी कुछ ही दूर पहुंचा होऊंगा की ऑटो वाले ने एक लड़की के सामने ऑटो रोक दिया जो की एक सिग्नल से थोड़ी दूर सड़क के किनारे खड़ी थी। शायद वो लड़की उसकी पहचान की रही होगी। वह ऑटोवाला उसे ऑटो में बैठने के लिए बोल रहा था लेकिन वो...